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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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फल : सेहत और सौन्दर्य के सच्चे साथी

फल : सेहत और सौन्दर्य के सच्चे साथी
* सेहत के लिए रोज खाएं फल रसीले 
- नसरीन
 
प्राचीन समय से मनुष्य कंद-मूल-फल का उपयोग भोजन में करता आ रहा है। इसके उपयोग का वर्णन हमारे वैदिक ग्रंथों में भी उपलब्ध है। साथ ही फल सबके सर्वप्रिय आहार भी हैं। फल पुष्टिकारक तो होते ही हैं, उनमें विटामिन और प्राकृतिक लवण भी भरे रहते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी हैं, इनके अभाव में शरीर रुग्ण व कमजोर हो जाता है। 
 
 फलों में मिठास की प्रधानता होती हैं। इस मिठास के कारण ही फल पचा हुआ भोजन कहलाता है क्योंकि फलों को पाचन में हमारी पाचन प्रणाली को विशेष श्रम नहीं करना पड़ता। पेट की गड़बड़ी को ठीक करने के लिए फल से अच्छे किसी दूसरे भोजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। फलों के रस के प्रयोग से लाभ और भी जल्द होता है। 
 
फलों में जो पचा हुआ भोजन रहता है उसके कारण फल खाते ही या उसका रस पीते ही सुस्ती और थकावट दूर होकर ताजगी और ताकत मालूम होती है, क्योंकि फल के आमाशय में पहुंचते ही शरीर उसका उपयोग शुरू कर देता है। फलों के उपयोग से दूसरे भोजन भी आसानी से पचते हैं। बहुत से फलों में पेप्टीन नामक एक खाद्य पदार्थ रहता है जो भोजन के पाचन में सहायक होता है। फलों की उपस्थिति के कारण अमाशय से पाचक रस भी अधिक स्त्रवित होता है।
 
फलों के रस कृमिनाशक होते हैं। उनके उपयोग से हमारे शरीर में स्थित रोग के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं क्योंकि फलों में जो साइटिक अम्ल होता है उनके संपर्क में आकर कीटाणु एक क्षण के लिए भी ठहर नहीं सकतें। नींबू और खट्टे सेब का रस तो इस काम को और तेजी से करता है। अपने कृमिनाशक प्रभाव के कारण पायरिया रोग में नींबू का रस मुंह और दांत साफ करने के लिए उपयोगी है।

रोजाना एक गिलास पानी में नींबू का रस डालकर पीने से पेट के तमाम रोग दूर हो जाते हैं। गर्मी के दिनों में कच्चे आम को उबालकर उसमें शकर-नमक डालकर पीने से शरीर को ठंडक पहुंचती हैं और लू लगने का खतरा नहीं रहता है। 
 
ज्वर के रोगी को यदि कोई भोजन दिया जा सकता है तो वह है फलों का रस ही है। अनानास, अनार, संतरा, सेब आदि का रस ज्वर के रोगी को देना अच्छा रहता है। 
 
फलों को खूब चबा-चबाकर खाना चाहिए अन्यथा वे वायु विकार पैदा कर सकते हैं। उनको तब तक दांतों से कुचलना चाहिए जब तक मुंह में उनका रस न बन जाए। जिनके दांत मजबूत न हो उन्हें सेब, नाशपती, अनानास जैसे फलों के छोटे-छोटे टुकड़े करके खाना चाहिए। साथ ही फल ताजे हों, अच्छे से पके हुए हों। सड़े हुए या कच्चे फल खाने से पेट में कष्ट हो सकता है। इसलिए सावधानी रखना चाहिए।

फलों का रस सुपाच्य होने के कारण बच्चों के लिए बहुत ही उपयोगी भोजन है। टमाटर या संतरे का रस पिलाने से बच्चों को बहुत स्वास्थ्य लाभ होता है। यों भी रस में अनेक रोगोंसे बचाव के गुण होते हैं। टमाटर का ताजा रस बलवर्धक और स्फूर्तिदायक होता है। इसमें विटामिन 'ए' और 'सी' के साथ ही विटामिन 'बी' भी होता है जिससे यह भूख बढ़ाता है और शक्ति भी प्रदान करता है।

इसके अलावा सब्जियों के रस भी फलों के रस के समान ही गुण रखते हैं। केवल उनमें फलों की नैसर्गिक मिठास नहीं होती। गाजर, ककड़ी और चुकंदर के रस का सेवन लाभदायक होता है। इनके रस रक्तहीनता और थकावट का अनुभव करने वाले व्यक्तियों के लिए संजीवनी का काम करते हैं। इनको चबाकर खाना भी अच्छा रहता है।

फल का रोटी और दूध के साथ बहुत अच्छा मेल है। फल भोजन के आरंभ, अंत में और बीच में खाया जा सकता है। केवल रसदार फलों को अंत में खाना ठीक है। हर फल महंगा नहीं होता। न ही फल खाना महंगा शौक है। स्थानीय उपलब्धता के आधार पर फल का चयन किया जा सकता है। फलों के उपयोग को अपनी आदत बनाइए और स्वस्थ रहिए।  

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