हिंदू धर्म में अमावस और पूर्णिमा का बहुत महत्व है। साधारण पूर्णिमा और अमावस के दिन कई तरह की पूजा की जाती है। इन सभी में से शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शरद पूर्णिमा का व्रत माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। शरद पूर्णिमा के बाद ऋतु का आगमन होता है।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए इस दिन दूध से बनी खीर को खुले आसमान या घर की छत पर रखा जाता है। ऐसा करने से शरद पूर्णिमा (sharad purnima 2023) की चांदनी में खीर औषधीय गुणों से भर जाती हैं। लेकिन इसका धार्मिक महत्व होने के साथ वैज्ञानिक तथ्य भी है। चलिए जानते हैं कि क्या है शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का महत्व.....
क्या है शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का महत्व?
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चांद ज्यादा करीब होता है और इस चंद्रमा में पृथ्वी पर कुछ ऐसी किरणें आती हैं जो सभी रोगों को दूर करने में असरदार होती हैं। इसलिए इस दिन लोग दूध की खीर बनाकर रात भर चांद की रोशनी में रखते हैं। इसका सुबह सेवन करने से सभी तरह की बीमारियों से राहत मिलती है।
वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार दूध में प्रचुर मात्रा में लैक्टिक एसिड पाया जाता है। दूध की खीर जब चांदनी रात में रखी जाती है तब यह अधिक मात्रा में चंद्रमा की किरणों को अवशोषित करती है। चंद्रमा के प्रकाश में कई तत्व होते हैं जो खीर को तत्वों से समृद्ध कर देते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि चावल से बनी खीर को चांदी के बर्तन में चांदनी रात में रखने पर यह पोषक तत्वों से समृद्ध हो जाती है। चांदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जिसे खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है।
अगर आपके पास चांदी का बर्तन नहीं है तो आप साधारण स्टील के बर्तन में भी खीर रख सकते हैं। अगर किसी भी व्यक्ति को चर्म रोग हो तो वो इस दिन खुले आसमान में रखी हुई खीर खाएं। साथ ही इस दिन कम से कम कपड़े पहनकर चांद की रौशनी में बैठने से स्किन से जुडी समस्या खत्म हो जाती है। इस दिन चांद की रोशनी में मिश्री भी राखी जाती है। चांद की रोशनी सोखने वाली मिसरी पित्त से जुड़े रोगों के लिए औषधि का काम करती है। यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन होने पर औषधीय मिश्री और धनिया मिलाकर खाने से आराम मिलेगा।
शरद पूर्णिमा 2023 पर कब रखी जाएगी खीर?
इस बार शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर 2023 को है लेकिन इस साल शरद पूर्णिमा के साथ ही चंद्र ग्रहण भी है। इसी वजह से अगर आप इस दिन खीर बनाकर रखते हैं तो आपकी खीर औषधीय होने की जगह दूषित हो जाएगी। यह दूषित खीर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
आप 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा की तिथि शुरु होते ही उस खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख दें। फिर आप चंद्रास्त के बाद खीर को खा सकते हैं। ऐसा करने से खीर दूषित भी नहीं होगी और उसे औषधियुक्त चांद की रोशनी प्राप्त हो जाएगी।