त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग मन्दिर महाराष्ट्र-प्रांत के नासिक जिले में त्रयंबक गांव में हैं।
गोदावरी नदी के किनारे स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर काले पत्थरों से बना है।
इस मंदिर के पंचक्रोशी में कालसर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की पूजा संपन्न होती हैं।
जिन्हें भक्तजन अलग-अलग मुराद पूरी होने के लिए करवाते हैं।
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर नासिक का इतिहास देखे तो मंदिर के इतिहास के साथ अलग-अलग किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण पेशवा बालाजी ने करवाया था।
नासिक का त्र्यम्बकेश्वर मंदिर भक्तों के दर्शन करने के लिए सुबह 6 बजे खोला जाता है और रात 9 बजे बंद होता है।
यह मंदिर में पूरे दिन कई तरह की पूजा और आरती होती रहती है।
त्र्यम्बकेश्वर शिव मंदिर की प्रसिद्ध महामृत्युंजय पूजा
महामृत्युंजय पूजा को भक्त पुरानी बीमारियों से छुटकारा दिलाने और स्वस्थ जीवन के लिए करते हैं।
पूजा सुबह 7 बजे से 9 बजे होती है।
त्र्यम्बकेश्वर शिव मंदिर में रुद्राभिषेक की पूजा
उसमे अभिषेक करने पंचामृत यानि दूध, घी, शहद, दही और शक्कर का उपयोग किया जाता है।
उसमें कई मंत्रों और श्लोकों का पाठ किया जाता है।
यह पूजा 7 से 9 बजे होती है।
त्र्यम्बकेश्वर शिव मंदिर में लघु रुद्राभिषेक पूजा
लघु अभिषेक को स्वास्थ्य और धन की समस्याओं को हल करने के लिए करते हैं।
वह कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करता है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की मुख्य पूजा महा रुद्राभिषेक पूजा
महा रुद्राभिषेक पूजा में मंदिर में ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद का पाठ करते हैं।
कालसर्प पूजा त्र्यंबकेश्वर मंदिर
काल सर्प पूजा राहु और केतु की दशा को ठीक करने के लिए करते हैं।
नारायण नागबली पूजा
पितृ दोष और परिवार पर पूवर्जों के श्राप से बचने के लिए करते हैं।
श्री त्र्यंबकेश्वर : एक नजर
शिव जी के बारह ज्योतिर्लिगों में श्री त्र्यंबकेश्वर को दसवां स्थान दिया गया है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह के अंदर तीन छोटे-छोटे लिंग है।
उस ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों विराजित हैं।
यहां गाय को हरा चारा खिलाने का बेहद चलन है।
श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर में अभिषेक और महाभिषेक के लिए पंडितों की व्यवस्था होती है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर हिन्दुओं के पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक हैं।
भगवान शिव को समर्पित मंदिर अपनी भव्यता और आर्कषण से पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
मंदिर के ज्यर्तिलिंग से गौतम ऋषि और गंगा नदी से प्रसिद्ध कथा जुड़ी हुई है।
हिन्दू धर्म के शिवपुराण में त्र्यम्बकेश्वर मंदिर का उल्लेख किया गया है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर का पुनः र्निर्माण पेशवा बालाजी ने करवाया था।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए जुलाई से सितंबर और अक्टूबर से मार्च के महीने अच्छे हैं।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर की वास्तुकला और स्थापत्य अद्भुत और अतुल्य है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में एक दर्पण भी ऊंचाई पर रखा गया है, जिसके माध्यम से भक्त देवता के प्रतिबिंब को देख सकते हैं।