- प्रदीप मानोरिया
दीपों की कतार से,
एकता और प्यार से,
उर के उल्लास से,
जीवन के प्रकाश से
खुशियां फैलाई हैं,
दिवाली आई है।
राम राज्य शान की,
मुक्ति वर्धमान की,
न्याय और नीति की,
अहिंसा की रीति की,
याद ये दिलाई है,
दिवाली आई है।
इस प्रकाश पर्व पर,
मन का सब तिमिर हर,
हिंसा मन के रावण सब,
विजय उन पर पाकर अब,
दिवाली मनाई है दिवाली आई है।