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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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ईसाई धर्म : गुड फ्राइडे क्या है, जानिए 5 खास बातें

ईसाई धर्म : गुड फ्राइडे क्या है, जानिए 5 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी

प्रभु ईसा मसीह का जन्म, जीवन और मृत्यु सभी कुछ रहस्यमयी है। उन्होंने जीवनभर लोगों को प्रेम, दया, क्षमा और सेवा का पाठ पढ़ाया। उनके जीवन पर आज भी शोध होते रहते हैं।
 
इस बार 5 अप्रैल को पाम संडे, 10 अप्रैल को गुड फ्राइडे और 12 अप्रैल 2020 को ईस्टर है। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं।
 
1. क्या है गुड फ्राइड : रविवार को यीशु ने येरुशलम में प्रवेश किया था। ज्यादातर विद्वानों के अनुसार सन 29 ई. को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर यरुशलम पहुंचे। इस दिन को 'पाम संडे' कहते हैं। वहीं उनको दंडित करने का षड्यंत्र रचा गया। उनके शिष्य जुदास ने उनके साथ विश्‍वासघात किया। अंतत: उन्हें विरोधियों ने पकड़कर क्रूस पर लटका दिया।

 
शुक्रवार को उन्हें सूली दी गई थी इसलिए इसे 'गुड फ्रायडे' कहते हैं। रविवार के दिन सिर्फ एक स्त्री (मेरी मेग्दलेन) ने उन्हें उनकी कब्र के पास जीवित देखा। जीवित देखे जाने की इस घटना को 'ईस्टर' के रूप में मनाया जाता है। उसके बाद यीशु कभी भी यहूदी राज्य में नजर नहीं आए। अर्थात 33 साल की उम्र के बाद वे कभी भी नजर नहीं आए।
 
 
2. ईसा मसीह पर आरोप : शुक्रवार के दिन धर्मसभा में बंधक प्रभु यीशु पर 3 दोषारोपण किए गए। तीन में से सबसे बड़ा आरोप यह था कि वे अपने आपको मसीहा और ईश्वर का पुत्र कहते थे। किसी ने यह भी कहा कि उन्होंने कहा कि वे यहूदियों का राजा हैं।

 
3. सूली पर लटाकाया : यरुशलम के गैलिल प्रांत में ईसा मसीह मानवता, भाइचारे, शांति और एकता का उपदेश दे रहे थे। वहां लोगों ने उन्हें परमपिता मानना प्रारंभ कर दिया। इससे धर्मगुरु और अंधविश्वास फैलाने वाले नाराज होने लगे। धर्मगुरुओं ने ईसा को मानवता का शत्रु बताना प्रारंभ किया और उन्होंने रोम शासक के नियुक्त गवर्नर पिलातुस को इसकी शिकायत की कि यह लोगों को भड़का रहा है। खुद को ईश्‍वरपुत्र बताने वाला यह घोर पापी है। इस पर धर्म की अवमानना और राजद्रोह का मामला बनता है। इसी आरोप के चलते ईसा मसीह को सूली पर मृत्यु दंड देने का फरमान जारी कर दिया। उन्हें सिर पर कांटों का ताज पहनाकर सूली पर लटका दिया गया।

 
4.गोलथामा : ईसा मसीह जिस जगह पर सूली चढ़ाया गया था उस स्थान को गोलगोथा नाम से जाना जाता है। दातर ईसाई परंपराओं के मुताबिक, ईसा मसीह को यहींसूली पर चढ़ाया गया था। इसे ही हिल ऑफ़ द केलवेरी कहा जाता है। दरअसल, ईसा मसीह को सुली पर से उतारने के बाद एक गुफा में रख दिया गया था। उस गुफा के आगे एक पत्थर लगा दिया गया था। वह गुफा और पत्थर आज भी मौजूद है। चर्च ऑफ द होली स्कल्प्चर उस गुफा से अलग है। ईसा मसीह का मकबरा स्कल्प्चर के भीतर ही है और माना जाता है कि यहीं से वो अवतरित भी हुए थे।
 
 
यरुशलम के प्राचीन शहर की दीवारों से सटा एक प्राचीन पवित्र चर्च है जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं पर प्रभु यीशु पुन: जी उठे थे। जिस जगह पर ईसा मसीह फिर से जिंदा होकर देखा गए थे उसी जगह पर यह चर्च बना है। इस चर्च का नाम है- चर्च ऑफ द होली स्कल्प्चर। कहा जाता है कि इस चर्च में वो चट्टान है जिस पर 33वीं में ईसा मसीह को दफनाने के लिए रखा गया था। माना यह भी जाता है कि यही वह स्थान है जहां ईसा ने अंतिम भोज किया था। यहां पर पत्थर के तीन स्लेब्स है। एक वह जहां पर पहले दफनाया गया दूसरा वह जहां पर जीवित पाए गए और तीसरा वह जहां उन्हें पुन: दफनाया गया था।

 
5. चर्च में विशेष प्रार्थना : कहते हैं कि ईसा मसीह सूली पर 6 घंटे लटके रहे और आखिरी के 3 घंटे के दौरान संपूर्ण राज्य में अंधेरा हो गया था। लोग आज के दिन दोपहर को चर्च में एकत्रित होकर लगभग 3 बजे प्रार्थना करते हैं। इन दिनों चर्चों में विशेष आयोजन होते हैं। इसमें बाइबल का पाठ, प्रवचन और मीसा का आयोजन भी किया जाता है। साथ ही एक विशेष आयोजन के साथ शाम को विशेष चल समारोह निकाला जाएगा।

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