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मप्र में बजा चुनावी बिगुल, चतुष्कोणीय मुकाबले में फंसी भाजपा और कांग्रेस, थर्ड फ्रंट बनाने में जुटे छोटे दल

मप्र में बजा चुनावी बिगुल, चतुष्कोणीय मुकाबले में फंसी भाजपा और कांग्रेस, थर्ड फ्रंट बनाने में जुटे छोटे दल

विशेष प्रतिनिधि

, शनिवार, 6 अक्टूबर 2018 (19:22 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही अब सियासी समीकरण बनने और बिगड़ने शुरू हो गए हैं। सूबे की 230 विधानसभा सीटों पर जहां सतारूढ़ दल भाजपा अकेले चुनाव लड़ने जा रही है, वहीं 15 साल से सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी कांग्रेस की भाजपा को घेरने की हर रणनीति अब तक सफल होती नजर नहीं आ रही है।
 
सत्ता का वनवास खत्म करने के लिए प्रदेश में कांग्रेस छोटे दलों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन सियासी जोड़तोड़ में माहिर माने जाने वाले पीसीसी चीफ कमलनाथ इसमें सफल नहीं हो पाए। बसपा के बाद बाद अब समाजवादी पार्टी ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन से इंकार कर दिया है।
 
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि कांग्रेस ने गठबंधन को लेकर बहुत देर कर दी है। वहीं अखिलेश बसपा के साथ गठबंधन की संभावना को खारिज नहीं कर रहे हैं। सूबे में समाजवादी पार्टी पहले से ही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन कर चुकी है, वहीं अब सपा मध्यप्रदेश में बसपा के साथ भी गठबंधन को लेकर प्रयासरत नजर आ रही है।
 
वेबदुनिया से बातचीत में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक श्यामसिंह मरकाम कहते हैं कि हमारी बसपा के साथ बातचीत जारी है और हम प्रदेश में महागठबंधन करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं मध्यप्रदेश में आदिवासियों के दल के रूप में नई पहचान बनाने वाले आदिवासी दल 'जयस' भी इस महागठबंधन में शामिल हो सकता है।
 
जयस के राष्ट्रीय संरक्षक हीरालाल अलावा कहते हैं कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस को रोकने के लिए उनका पूरा जोर थर्ड फ्रंट को बनाने को लेकर है। इसके लिए वो सभी दलों से बातचीत कर रहे हैं। अगर चुनाव से पहले छोटे दल एक मंच पर आकर किसी महागठबंधन का ऐलान करते हैं तो इस बार भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों की जीत की राह मुश्किल हो सकती है।
 
इतना साफ है कि भाजपा और कांग्रेस को घेरने के लिए छोटे दल सूबे में महागठबंधन बनाने के लिए एकजुट होते नजर आ रहे हैं वहीं सपाक्स समाज पार्टी के चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा के बाद सभी भाजपा और कांग्रेस के चुनावी समीकरण पहले से ही गड़बड़ हो गए हैं। अगर इस वक्त के चुनावी समीकरण को देखें तो प्रदेश में इस बार चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है।

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