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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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वर्तमान परि‍स्थि‍ति पर कविता : अब आएगी दिवाली...

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शम्भू नाथ

निकल दिवाला गया पहिले से,
अब आएगी दिवाली। 
फरमाइश कैसे पूरी होगी,
बिगड़ेगी घरवाली।
 
लड़का कहता वैट भी लूंगा,
साथ में चाहिए लैपी। 
लड़की कहती मोबाइल लूंगी,
तब हो जाऊंगी हैपी।
 
तीन हजार तनख्वाह मिली है,
ये कैसी तंगहाली। 
फरमाइश कैसे पूरी होगी,
बिगड़ेगी घरवाली।
 
फीस जमा करना बच्चों का,
कैसे करूं उपाय। 
ये मौसम बेचैनी वाला,
बना दिया असहाय।
 
बार-बार क्यूं डंसती मुझको,
बिन मतलब कंगाली। 
फरमाइश कैसे पूरी होगी,
बिगड़ेगी घरवाली।
 
धौंस दिखाती बीवी हरदम,
मारे पड़ोसी ताना। 
छोटी लड़की कहती हरदम,
लेके आना बनाना।
 
चिंता से मन व्याकुल हो गया,
खाली पड़ी है थाली। 
फरमाइश कैसे पूरी होगी,
बिगड़ेगी घरवाली। 
 

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