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मानव शरीर के लिए योग में प्राणायाम और आसन का बढ़ा है महत्व

मानव शरीर के लिए योग में प्राणायाम और आसन का बढ़ा है महत्व
, सोमवार, 8 नवंबर 2021 (14:36 IST)
आजकल योग पर प्रचलन बढ़ गया है। फिल्म स्टार से लेकर आम लोगों तक योग की लोकप्रियता बढ़ी है। वर्तमान में योग के सबसे बड़े शिक्षक बाबा रामदेव हैं। योग वैसे तो वृहत्तर विषय है जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारण, ध्यान, क्रिया योग, मुद्रा योग आदि कई तरह के योग शामिल है परंतु वर्तमान में मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्राणायाम और आसन का महत्व बढ़ा है।
 
 
प्राणायाम : प्राणायाम के प्रमुख प्रकार ( kind of pranayama ) : 1.नाड़ीशोधन, 2.भ्रस्त्रिका, 3.उज्जाई, 4.भ्रामरी, 5.कपालभाती, 6.केवली, 7.कुंभक, 8.दीर्घ, 9.शीतकारी, 10.शीतली, 11.मूर्छा, 12.सूर्यभेदन, 13.चंद्रभेदन, 14.प्रणव, 15.अग्निसार, 16.उद्गीथ, 17.नासाग्र, 18.प्लावनी, 19.शितायु (shitau) आदि। सभी प्राणायमा में पूरक, कुम्भक और रेचक का महत्व है।
 
इसके अलावा भी योग में अनेक प्रकार के प्राणायामों का वर्णन मिलता है जैसे-
 
1. अनुलोम-विलोम प्राणायाम
2. अग्नि प्रदीप्त प्राणायाम
3. अग्नि प्रसारण प्राणायाम
4. एकांड स्तम्भ प्राणायाम
5. सीत्कारी प्राणायाम
6. सर्वद्वारबद्व प्राणायाम
7. सर्वांग स्तम्भ प्राणायाम
8. सम्त व्याहृति प्राणायाम
9. चतुर्मुखी प्राणायाम,
10. प्रच्छर्दन प्राणायाम
11. चन्द्रभेदन प्राणायाम
12. यन्त्रगमन प्राणायाम
13. वामरेचन प्राणायाम
14. दक्षिण रेचन प्राणायाम
15. शक्ति प्रयोग प्राणायाम
16. त्रिबन्धरेचक प्राणायाम
17. कपाल भाति प्राणायाम
18. हृदय स्तम्भ प्राणायाम
19. मध्य रेचन प्राणायाम
20. त्रिबन्ध कुम्भक प्राणायाम
21. ऊर्ध्वमुख भस्त्रिका प्राणायाम
22. मुखपूरक कुम्भक प्राणायाम
23. वायुवीय कुम्भक प्राणायाम
24. वक्षस्थल रेचन प्राणायाम
25. दीर्घ श्वास-प्रश्वास प्राणायाम
26. प्राह्याभ्न्वर कुम्भक प्राणायाम
27. षन्मुखी रेचन प्राणायाम
28. कण्ठ वातउदा पूरक प्राणायाम
29. सुख प्रसारण पूरक कुम्भक प्राणायाम
30. नाड़ी शोधन प्राणायाम व नाड़ी अवरोध प्राणायाम
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योग के आसन योगासन : 'आसनानि समस्तानियावन्तों जीवजन्तव:। चतुरशीत लक्षणिशिवेनाभिहितानी च।'- अर्थात संसार के समस्त जीव जन्तुओं के बराबर ही आसनों की संख्या बताई गई है। इस प्रकार 84000 आसनों में से मुख्य 84 आसन ही माने गए हैं।
 
आसन के प्रकार : बैठकर किए जाने वाले आसन। पीठ के बाल लेटकर किए जाने वाले आसन। पेट के बाल लेटकर किए जाने वाले आसन और खड़े होकर किए जाने वाले आसन।
 
1. बैठकर : पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, मत्स्यासन, वक्रासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, पश्चिमोत्तनासन, ब्राह्म मुद्रा, उष्ट्रासन, योगमुद्रा, उत्थीत पद्म आसन, पाद प्रसारन आसन, द्विहस्त उत्थीत आसन, बकासन, कुर्म आसन, पाद ग्रीवा पश्चिमोत्तनासन, बध्दपद्मासन, सिंहासन, ध्रुवासन, जानुशिरासन, आकर्णधनुष्टंकारासन, बालासन, गोरक्षासन, पशुविश्रामासन, ब्रह्मचर्यासन, उल्लुक आसन, कुक्कुटासन, उत्तान कुक्कुटासन, चातक आसन, पर्वतासन, काक आसन, वातायनासन, पृष्ठ व्यायाम आसन-1, भैरवआसन, भरद्वाजआसन, बुद्धपद्मासन, कूर्मासन, भूनमनासन, शशकासन, गर्भासन, मंडूकासन, सुप्त गर्भासन, योगमुद्रासन आदि।
 
2. पीठ के बल लेटकर : अर्धहलासन, हलासन, सर्वांगासन, विपरीतकर्णी आसन, पवनमुक्तासन, नौकासन, दीर्घ नौकासन, शवासन, पूर्ण सुप्त वज्रासन, सेतुबंध आसन, तोलांगुलासन, प्राणमुक्त आसन, कर्ण पीड़ासन, उत्तानपादासन, चक्रासन, कंधरासन, स्कन्धपादासन, मर्कटासन, ग्रीवासन, एकपादग्रीवासन, द्विपादग्रीवासन, कटी व्यायाम आसन, पृष्ठ व्यायाम आसन-2 आदि।
 
3. पेट के बल लेटकर : मकरासन, धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन, विपरीत नौकासन, खग आसन, चतुरंग दंडासन, कोनासन आदि।
 
4. खड़े होकर : ताड़ासन, वृक्षासन, अर्धचंद्रमासन, अर्धचक्रासन, दो भुज कटिचक्रासन, चक्रासन, पाद्पश्चिमोत्तनासन, गरुढ़ासन, चंद्रनमस्कार, चंद्रासन, उर्ध्व उत्थान आसन, पाद संतुलन आसन, मेरुदंड वक्का आसन, अष्टावक्र आसन, बैठक आसन, उत्थान बैठक आसन, अंजनेय आसन, त्रिकोणासन, नटराज आसन, एक पाद विराम आसन, एकपाद आकर्षण आसन, उत्कटासन, उत्तानासन, कटी उत्तानासन, जानु आसन, उत्थान जानु आसन, हस्तपादांगुष्ठासन, पादांगुष्ठासन, ऊर्ध्वताड़ासन, पादांगुष्ठानासास्पर्शासन, कल्याण आसन आदि।
 
5. अन्य : शीर्षासन, मयुरासन, सूर्य नमस्कार, वृश्चिकासन, चंद्र नमस्कार, लोलासन, अधोमुखश्वानासन, मोक्ष आसन, अदवासन, अग्नीस्तंभासन, अनंतासन, अंजनेयासन, योगनिद्रा, मार्जारासन, अनुवित्तासन, अश्व संचालन आसन, भुजपीड़ासन, बिदालासन, बंधासन, चक्र बंधासन, चक्र वज्रासन, चकोरआसन, द्रधासन, द्विपाद परिवर्त्ता कोंडियासन उपधानासन, द्विचक्रिकासन, पादवृत्तासन, पॄष्ठतानासन, प्रसृतहस्त शंखासन, पक्ष्यासन आदि।

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