Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

Atiq-Ashraf Murder Case : अतीक-अशरफ हत्‍या की स्वतंत्र जांच की मांग, SC में 28 अप्रैल को होगी याचिका पर सुनवाई

Supreme court
, सोमवार, 24 अप्रैल 2023 (13:30 IST)
  • अतीक अहमद और अशरफ हत्‍याकांड की स्वतंत्र जांच की मांग
  • 28 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय  करेगा याचिका पर सुनवाई
  • योगी सरकार के 6 साल में 183 अपराधी मुठभेड़ में ढेर
नई दिल्ली। Atiq-Ashraf Murder Case : उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिका पर 28 अप्रैल को सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया।

गौरतलब है कि उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी अतीक अहमद (60) और उसके भाई एवं पूर्व विधायक अशरफ की 15 अप्रैल की रात को मीडिया से बातचीत के दौरान तीन हमलावरों ने नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी थी। घटना के समय अतीक और अशरफ को पुलिस चिकित्सा जांच करवाने के लिए अस्पताल लेकर जा रही थी।

वकील विशाल तिवारी के जरिए दायर याचिका में 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों की जांच कराने का भी अनुरोध किया गया है। तिवारी ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष मामले को सोमवार को तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया। उन्होंने पीठ को बताया कि उनकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी थी लेकिन इसे सूचीबद्ध नहीं किया गया।

इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, चूंकि पांच न्यायाधीश उपलब्ध नहीं हैं तो जिन कुछ मामलों में तारीखें दी गई थीं, उन्हें सूचीबद्ध नहीं किया गया है। हम शुक्रवार (28 अप्रैल) को इसे सूचीबद्ध करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के कुछ न्यायाधीश कोरोनावायरस से संक्रमित हैं जबकि कुछ अन्य वजहों से उपलब्ध नहीं हैं।
webdunia

उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाल में कहा था कि उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार के छह साल में मुठभेड़ों में 183 कथित अपराधियों को मार गिराया जिनमें अतीक अहमद का बेटा असद और उसका साथी भी शामिल है।

उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच करने के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है। इसमें कहा गया है, उत्तर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) के बयान के मुताबिक 2017 के बाद से 183 मुठभेड़ हुई हैं।

इन मुठभेड़ों और अतीक तथा अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी पूर्व न्यायाधीश की अगुवाई में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन कर कानून के शासन की रक्षा के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया जाता है।
ALSO READ: अतीक अहमद के आतंक का अंत : एक मर्डर ने कैसे यूपी के सबसे बड़े माफिया को किया तबाह?
अतीक की हत्या का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है, पुलिस का ऐसा कृत्य लोकतंत्र तथा कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा है तथा यह पुलिसिया राज की ओर ले जाता है। याचिका में कहा गया है, लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को अंतिम निर्णय सुनाने का जरिया या दंड देने वाला प्राधिकरण बनने नहीं दिया जा सकता। दंड देने का अधिकार केवल न्यायपालिका को है।

इसमें कहा गया है कि न्यायेत्‍तर हत्या या फर्जी पुलिस मुठभेड़ की कानून में कोई जगह नहीं है। याचिका के अनुसार, जब पुलिस दुस्साहसी बन जाती है तो पूरी कानून व्यवस्था ढह जाती है और लोगों के मन में पुलिस के खिलाफ डर पैदा होता है जो लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है तथा इससे और अपराध जन्म लेते हैं।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

एक महीने के अंदर 2 चीतों की मौत के बाद सवालों के घेरे कूनो चीता प्रोजेक्ट?