Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

EXCLUSIVE: सरकार से बातचीत फेल हुई तो संसद पर कब्जा करेगा किसान,किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा की बड़ी चेतावनी

संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ से Exclusive बातचीत

विकास सिंह
बुधवार, 2 दिसंबर 2020 (12:50 IST)
नए कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली कूच के लिए निकले किसानों के आंदोलन का आज सातवां दिन है। मंगलवार शाम को सरकार से पहले दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकलने के बाद अब भी किसान सड़कों पर ही डटे हुए है। अब सबकी नजर आज होने वाली किसानों संगठनों की बैठक और कल (गुरुवार) को सरकार से होने वाली बातचीत पर टिक गई है। 
 
सरकार से पहले दौर की बातचीत में शामिल संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य और राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा ‘कक्काजी’ से ‘वेबदुनिया’ ने एक्सक्लूसिव बातचीत कर सरकार से हुई वार्ता और आंदोलन के आगे की रणनीति को समझने की कोशिश की। 
ALSO READ: Live Updates : MSP पर भाजपा से जुड़े किसान नेता ने कही बड़ी बात...
पॉजिटिव माहौल में हुई बातचीत-‘वेबदुनिया’ से बातचीत में किसान आंदोलन के प्रमुख रणनीतिकार और किसान नेता शिवकुमार शर्मा 'कक्का' जी कहते हैं कि पहले दौर की बातचीत में हमारा और सरकार दोनों का रूख पॉजिटिव था। बैठक में किसान संगठनों ने सरकार से तीनों कृषि अध्यादेशों को रद्द करने की मांग की,इस पर सरकार ने कहा कि अध्यादेश बड़ी मुश्किल से तैयार होता है और गलतियां हो सकती हैं और उनको ठीक किया जा सकता है। अध्यादेश की गलतियों को आप लोग (किसान संगठन) बताएं और एक छोटी कमेटी बना लें जिसमें किसान संगठनों के साथ वह खुद (कृषि मंत्री) भी शामिल होंगे। 
किसान संगठनों की बैठक में कृषि कानूनों पर मंथन- वहीं किसान संगठनों की आज होने वाली बैठक को लेकर शिवकुमार शर्मा ने कहा कि आज हम लोग बैठक कर गुरुवार को कृषि मंत्री से होने वाली बातचीत की तैयारी करेंगे। आज की बैठक में हम तीनों अध्यादेश में किन-किन बिंदुओं पर आपत्ति हैं और उसकी बिंदुवार गलतियों की सूची तैयार करेंगे। इसके बाद कल (गुरुवार को) दिन में 12 बजे अधिकारियों और कृषि मंत्री जी के साथ बैठक में इसको सामने रखेंगे। वह कहते हैं कि अब बातचीत की कहानी कल और आगे बढ़ेगी, हो सकता हैं कि एक-दो दिन मे कुछ बात बन जाए लेकिन अगर सरकार अड़ती है तो हम भी अड़े हैं।
 
कृषि कानूनों के रद्द होने तक आंदोलन नहीं रूकेगा- ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में शिवकुमार शर्मा साफ कहते हैं कि किसान अब दिल्ली पहुंच गए हैं तो वह बिना अध्यादेश को रद्द कराए वापस नहीं लौटेंगे। यह आंदोलन निर्णायक होगा और अब आंदोलन जनआंदोलन का रूप लेने लगा है। वह साफ कहते हैं कि अब सरकार के आश्वासन पर आंदोलन नहीं खत्म होगा। किसानों को अब आश्वासन नहीं तीनों अध्यादेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आदेश चाहिए। किसान आंदोलन अब किसी भी स्थिति में स्थगित ‌या रद्द नहीं होगा,हम‌ कानूनों के रद्द होने तक‌ नहीं मानेंगे यह बात एकदम क्लियर है।
सरकार के साथ बैठक में किसान संगठनों ने साफ कर दिया हैं कि जब तक कानून रद्द नहीं होते तब तक आंदोलन चलता रहेगा और हम लोग आंदोलन को और तेज करते जाएंगे। पूरे देश के किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं और अब एक के बाद एक दिल्ली की चारों ओर की सड़कों को ब्लॉक करते जाएंगे।
 
बातचीत फेल तो संसद पर कब्जा करेंगे किसान- ‘वेबदुनिया’ के इस सवाल पर कि अगर सरकार कृषि कानूनों को रद्द या वापस नहीं लेती है किसानों और आंदोलन का आगे का क्या रूखा होगा ? इस पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान किसान संघर्ष मोर्चा के प्रमुख रणनीतिकार शिवकुमार शर्मा 'कक्काजी' साफ तौर पर कहते हैं कि अभी हम बातचीत का इंतजार कर रहे हैं और अगर परिणाम नहीं आता है तो देश के तीन से चार करोड़ लोग (किसान) दिल्ली कूच करेंगे और सीधा संसद पर कब्जा करेंगे। शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि संवाद से बड़े-बड़े गतिरोधों का हल कई बार निकला है और उनको उम्मीद हैं कि इस बार भी हल निकलेगा लेकिन अगर वार्ता विफल होती है तो किसान संसद की ओर कूच करेंगे और फिर जो होगा उसका गवाह इतिहास बनेगा।
जबरन कानून क्यों थोप रही सरकार?-‘वेबदुनिया’ से बातचीत में शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि सरकार कृषि कानूनों को जबरन किसानों पर थोप रही है। वह कहते हैं कि मंगलवार को सरकार से बातचीत में सरकार और प्रधानमंत्री जी के कृषि कानूनों को डिफेंड करने का विषय भी आया था।
ALSO READ: EXCLUSIVE : बातचीत के माहौल के लिए कृषि कानूनों को सस्पेंड करे सरकार,किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुनीलम का बड़ा बयान
वह आगे कहते हैं कि आज पूरे देश के अर्थशास्त्री,चार्टर्ड अकाउंटेंट किसान यूनियन में 50-50 साल का अनुभव रखने वाले कह रहे हैं कि यह कानून सबसे खतरनाक है और किसानों का डेथ वारंट है तो प्रधानमंत्री की लिस्ट में यह कैसे फायदे की चीज है जिन्होंने कभी खेती भी नहीं की। किसान नेता शिवकुमार शर्मा सीधा सवाल करते हुए कहते हैं कि अगर प्रधानमंत्री जी आप की लिस्ट में यह फायदे की चीज भी है तो हमको ऐसा फायदा नहीं चाहिए, क्यों आप हम को जबरदस्ती कानून देना चाहते हैं।
 
किसान आंदोलन बना जनआंदोलन ?-किसान आंदोलन में मध्यप्रदेश के किसानों की भागीदारी के सवाल पर शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ मध्यप्रदेश के किसानों ने ही सबसे पहले मजनूं का टीला गुरुद्वारा के सामने और संसद के सामने अर्धनग्न प्रदर्शन कर अपनी गिरफ्तारी दी थी। 
 
जहां तक बात मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन का असर नहीं दिखने की है तो हम लोगों ने तय किया है कि हमको अभी किसी भी राज्य में ज्यादा आंदोलन नहीं कर दिल्ली आना है। अब तक पंजाब, हरियाणा,मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से सभी लोग दिल्ली आ चुके है।

अब किसान आंदोलन जनआंदोलन बन गया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील और समाज के अन्य वर्ग भी समर्थन कर रहा है। दिल्ली के सारे गुरुद्वारे किसानों को भोजन कराने के लिए लंगर चला रहे हैं। किसान आंदोलन चल रहा है और आगे और गति पकड़ेगा। सरकार को किसानों की बात मानना ही पड़ेगा,अब किसानों के जीवन और मौत का सवाल है
 

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी और गृहमंत्री शाह से की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा...

सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

सभी देखें

नवीनतम

cyclone dana live : दाना ने छोड़े तबाही के निशान, शुरू हुआ भुवनेश्वर एयरपोर्ट

weather update : चक्रवात दाना का कहर, 3 राज्यों में भारी बारिश

NCP अजित पवार गुट में शामिल हुए जिशान सिद्दीकी, बांद्रा पूर्व से लड़ेंगे चुनाव

उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर बवाल, हिंदू संगठनों का प्रदर्शन, पुलिस ने किया लाठीचार्ज, 27 लोग घायल

Maharashtra : पुणे में पानी की टंकी गिरी, 5 श्रमिकों की मौत, 5 अन्य घायल

આગળનો લેખ
Show comments