Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

कविता : होली के मुक्तक

कविता : होली के मुक्तक
webdunia

डॉ. निशा माथुर

धक-धक-सी महकी सांसें हैं, मदहोशियां छाईं, 
झूमे पलाश मदमस्त सा, जामुनिया भी बौराई।
मन-मयूरा नाचे ता धिक, आज पी के भंग तरंग,
अंबर है लाल, गाल गुलाल, मस्तानियां छाईं।
 
मनमोहना ने रंग दी, मोरी ये चुनरिया,
फागुन के जैसी प्रीत भरे सारी उमरिया।
घूंघट के पट से देखूं, होली का ये धमाल,
बलखाता सा यौवन है, बहकी है गुजरिया।
 
नैना तुझे ही ढूंढ रहे, आ मेरे हमजोली,
छुप-छुपके अब यूं ना कर, हमसे ये ठिठोली।
लेकर के आई प्रीत के, रंगों से भरा थाल,
मल दे गुलाल रंग दे गुलाल, आ खेल ले होली।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

होलिका दहन व पूजन की प्रामाणिक विधि, 10 प्रमुख बातें