अयोध्या। उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन अयोध्या मामले को लेकर हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस विचार से सहमति जताई है जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार मंदिर-मस्जिद विवाद पर न्यायालय के फैसले का इंतजार करेगी।
महंत धर्मदास ने शनिवार को कहा कि हमारी मांग है कि इस मुकदमे की दिन-प्रतिदिन सुनवाई हो, क्योंकि लंबे समय से हम इंसाफ के इंतजार में हैं। इस मामले में किसी भी सरकार में दम नहीं है कि कोई अध्यादेश ला सके। इसका फैसला सिर्फ न्यायालय ही कर सकता है।
राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य और मणिरामदास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयनदास ने कहा कि जिस प्रकार से राम जन्मभूमि के मुकदमे में सिर्फ तारीख पर तारीख दी जा रही है, उससे देश के करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का अपमान है। जल्द से जल्द उच्चतम न्यायालय इस मुकदमे पर अपना फैसला सुनाए। विवादित राम जन्मभूमि पर विराजमान रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि हम आशा लगाए बैठे थे कि शनिवार से रामलला मामले में सुनवाई शुरू होगी लेकिन इस मसले पर सुनवाई न होने से निराशा ही हाथ लगी है।
राम मंदिर निर्माण की मांग के समर्थन में आत्मदाह की धमकी देने वाले तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी महंत परमहंस दास ने कहा कि 10 जनवरी से इस मुकदमे की सुनवाई शुरू होनी है। अंक बहुत शुभ है। भगवान राम के पिता महाराजा दशरथ के नाम में भी 10 का जिक्र है। हमें विश्वास है कि अब इस मुकदमे की तेजी से सुनवाई होगी और फैसला भगवान राम के पक्ष में आएगा।
बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने कहा कि न्यायालय पर किसी का वश नहीं है और वह पूर्ण रूप से स्वतंत्र है। न्यायिक प्रक्रिया में किसी को बाधा नहीं बनना चाहिए और इंतजार बहुत लंबा हो चुका है तथा सभी को फैसले का इंतजार है लेकिन फैसला देने के लिए न्यायालय पर दबाव बनाना अनुचित है। हमारे कहने या किसी के कहने से कोर्ट अपना फैसला नहीं सुनाएगी। सभी को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। जब तक फैसला नहीं आता है, तब तक आपस में शांति व भाईचारा बनाकर रहना चाहिए।
बाबरी मस्जिद विवाद के पैरोकार हाजी महबूब ने कहा कि इस मुकदमे की डे-टू-डे सुनवाई हो और जल्द से जल्द इस मुकदमे का फैसला आए। फैसला जो भी हो, जल्द हो जिससे कि इस मसले का हल निकल सके और देश में अमन-चैन बना रहे। (वार्ता)