Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

29th Roza : उन्तीसवां रोजा, रमजान के रुख़सत का इशारा

29th Roza : उन्तीसवां रोजा, रमजान के रुख़सत का इशारा
उन्तीसवां रोज़ा आ रहा है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान माह के बाद आनेवाले 10वें महीने शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। ईद कब मनाई जाएगी यह चांद के दीदार होने पर तय किया जाता है।
 
ईद की तारीख चांद के अनुसार तय होती है। वैसे इस बार ईद-उल-फितर 13 या 14 मई को मनाए जाने की उम्मीद है। इस बार कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखते हुए ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा। अगर ईद का चांद कल शाम को नज़र आता है तो माहे-रमज़ान के आख़िरी अशरे यानी दोज़ख से निजात के अशरे (नर्क से मुक्ति का कालखंड) का यह आख़िरी रोज़ा होगा। लेकिन कल चांद नज़र नहीं आता है तो इंशाअल्लाह अगले दिन तीसवां और आख़िरी रोज़ा होगा यानी सवाब (पुण्य) का एक और दिन।
 
उन्तीसवां रोज़ा रमज़ान की रुख़सत के इशारे के साथ रोज़ादारों और नेक बंदों से अल्लाह पर ईमान के साथ दुआ का पैग़ाम दे रहा है। माहे-रमज़ान में रोज़े रखते हुए तिलावते क़ुरआन करते हुए (कुरआन का पाठ करते हुए), इबादत करते हुए अनजाने में जो भूलें या ग़लतियां हुई हैं, रोज़ादार की किसी बात से किसी का दिल दुख गया हो।
 
फ़र्ज़ में कोई कमी रह गई हो, न चाहते हुए भी यानी ज़ब्त करने के बाद भी ग़ुस्सा आ गया हो, वादाख़िलाफ़ी हो गई हो। अनजाने ही कोई कोताही हो गई हो तो तौबा-ए-अस्तग़फ़ार (गुनाहों का प्रायश्चित) करके अल्लाह से अपने मां-बाप, मुल्क और दुनिया की भलाई के लिए कसरत से (बहुलता से) दुआ मांगना चाहिए।
 
अगरचे ' दुनिया' लफ़्ज़ में रोज़ादार बज़ाते ख़ुद मां-बाप, मुल्क आ जाते हैं। फिर भी रोज़ादार का फ़र्ज़ है कि मां-बाप के लिए दुआ मांगे, क्योंकि कुरआने-पाक की सूरह 'अन्कबू्‌त' की आठवीं आयत में अल्लाह का इरशाद (आदेश) है-' और हमने इंसान को अपने मां-बाप के साथ नेक सुलूक करने का हुक्म दिया है।'
 
इसी तरह क़ुरआने पाक की सूरह इब्राहीम की इकतालीसवीं आयत में अल्लाह का इरशाद (आदेश) है "ऐ परवरदिगार हिसाब (किताब) के दिन मुझको और मेरे मां-बाप को और मोमिनों (ईमान वालों) को मग़फ़िरत (मोक्ष) दें। 'हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का फ़रमान है कि अपने मां-बाप, अपने मुल्क और दुनिया की ख़ुशहाली और अमन-सुकून के लिए अल्लाह से दुआ करें। क्योंकि दिल से जो निकली दुआ खाली नहीं जाती यानी वो अल्लाह से टाली नहीं जाती। (आमीन!)
 
सौजन्य से - अज़हर हाशमी

ALSO READ: 28th Roza : अल्लाह की इबादत जन्नत की कुंजी

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

28th Roza : अल्लाह की इबादत जन्नत की कुंजी