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भारतीय सेना के ऑपरेशन हिम विजय पर चीन ने उठाई आपत्ति

भारतीय सेना के ऑपरेशन हिम विजय पर चीन ने उठाई आपत्ति
, शनिवार, 5 अक्टूबर 2019 (21:22 IST)
नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना का हिम-विजय अभ्यास का चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आगामी भारत यात्रा से कोई लेना-देना नहीं है। रक्षा सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। भारतीय सेना (Indian Army) ने अरुणाचल प्रदेश में अपना सबसे बड़ा पहाड़ी युद्धाभ्यास 'हिम विजय' आयोजित किया है। पूर्वोत्तर राज्य में इस तरह की यह पहली कवायद है लेकिन चीन ने इसका विरोध किया है, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से को वह दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से 100 किलोमीटर दूर 3 युद्ध समूह (प्रत्येक में 4 हजार सैनिक शामिल हैं) 14 हजार फुट की ऊंचाई पर हो रहे अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
 
भारतीय सेना की नवस्थापित 17 कोर अरुणाचल प्रदेश में करीब 15,000 फुट की ऊंचाई पर बड़ा अभ्यास कर रही है। इस तरह की खबरें थीं कि चीन ने जिनपिंग की भारत यात्रा से पहले अभ्यास को लेकर भारत से आपत्ति जताई थी। जिनपिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए भारत आ रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि अभ्यास वास्तविक नियंत्रण रेखा से करीब 100 किलोमीटर दूर हो रहा है। यह रेखा दोनों देशों के बीच वास्तविक सीमा है। अभ्यास करने का कार्यक्रम मार्च में तय किया गया था।
 
उन्होंने बताया कि इस तरह के अभ्यास सर्दियों से पहले और सर्दियों के बाद मौसम के अनुकूल सैनिकों को ढालने के लिए किए जाते हैं। ऐसे अभ्यास पूर्वी कमान की सभी इकाइयां करती हैं। ऑपरेशन हिम-विजय 25 अक्टूबर को संपन्न होगा।
 
सूत्रों ने बताया कि 17 कोर नया है और इसके सैनिक नियमित तौर पर अंदरुनी इलाकों में जो आमतौर पर ऊंचाई वाले क्षेत्र में होते हैं, वहां खुद को मौसम के अनुकूल ढालने के लिए अभ्यास कर रहे हैं। चीन का दावा है कि पूर्वोत्तर भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश, दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है।
 
भारत लगातार कहता आया है कि अरुणाचल प्रदेश देश का ‘अभिन्न अंग’ है। दोनों देश सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 20 से ज्यादा दौर की बातचीत कर चुके हैं। जिनपिंग अगले हफ्ते भारत यात्रा पर आ सकते हैं। उनकी यात्रा की तारीखों का अभी ऐलान नहीं हुआ है।
 
पहले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में मोदी और शी ने अपनी-अपनी सेना को ‘सामरिक दिशा-निर्देश’ जारी करने का निर्णय किया था ताकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास और समझ बढ़ाया जा सके। भारत और चीन की सेना के बीच डोकलाम में 73 दिनों तक गतिरोध जारी रहने के बाद शिखर सम्मेलन हुआ था।

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