Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

गंधमादन पर्वत पर आज भी रहते हैं श्री हनुमान जी कमल सरोवर के पास

गंधमादन पर्वत पर आज भी रहते हैं श्री हनुमान जी कमल सरोवर के पास

अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 17 सितम्बर 2020 (17:20 IST)
त्रैतायुग में हनुमानजी और जाववंतजी को प्रभु श्रीराम ने चिरंजीवी रहने का वरदान दिया था और कहा था कि मैं द्वापर युग में तुमसे मिलूंगा। प्रभु श्रीराम कृष्ण रूप में उनसे मिले भी थे। कहते हैं कि हनुमानजी को एक कल्प तक इस धरती पर रहने का वरदान मिला है। एक कल्प अर्थात कलिकाल का अंत होने के बाद भी।
 
''यत्र-यत्र रघुनाथ कीर्तन तत्र कृत मस्तकान्जलि। वाष्प वारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तक॥''
अर्थात : कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, वहां हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं। अब चूंकि हनुमानजी सशरीर इस धरती पर विराजमान हैं तो वे कहां हैं?
 
सीताजी के वचनों के अनुसार- अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत रघुनायक छोऊ॥
यदि मनुष्य पूर्ण श्रद्घा और विश्वास से इनका आश्रय ग्रहण कर लें तो फिर तुलसीदासजी की भांति उसे भी हनुमान और राम-दर्शन होने में देर नहीं लगती।
 
श्रीमद भागवत पुराण अनुसार हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। यह गंधमादन पर्वत हिमालय के हिमवंत पर्वत के पास हैं जिसे यक्षलोक भी कहा जाता है। यहां एक बहुत ही अद्भुत सरोवार और उसमें खिलने वाले कमल की कथा पुराणों में मिलती है। हनुमानजी इसी सरोवर के पास रहते हैं। प्रतिदिन श्रीराम की पूजा करने के दौरान हनुमानजी यहां के कमल तोड़कर उन्हें अर्पित करते हैं।
 
इस कमल को प्राप्त करने की इच्छा पौंड्र नगरी के नकली कृष्ण पौंड्रक ने व्यक्त की थी तब उसका मित्र वानर द्वीत ने इसे लाने का प्रयास किया था परंतु हनुमाजी के कारण वह ऐसा नहीं कर पाया। अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुंचे थे। इंद्रलोक में जाते समय अर्जुन को हिमवंत और गंधमादन को पार करते दिखाया गया है। एक बार भीम कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत पहुंच गए थे, जहां उन्होंने हनुमानजी को लेटे देखा। तब हनुमानजी ने कहा था कि तुम ही मेरी पूछ हटाकर निकल जाओ। लेकिन भीम उनकी पूछ नहीं हटा पाए थे। तभी भीम का बलवान होने का घमंड टूट गया था और उन्होंने हनुमानजी से क्षमा मांगी थी और उनसे अपने विराट रूप के दर्शन करने की इच्छा की थी। तब हनुमानजी ने भीम को अपना विराट रूप दिखया था।
 
हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं, ऐसा श्रीमद भागवत में वर्णन आता है। गंधमादन में ऋषि, सिद्ध, चारण, विद्याधर, देवता, गंधर्व, अप्सराएं और किन्नर निवास करते हैं। वे सब यहां निर्भीक विचरण करते हैं। हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में (दक्षिण में केदार पर्वत है) स्थित गंधमादन पर्वत की। पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड और भद्राश्व खंड के बीच में गंधमादन पर्वत कहा गया है, जो अपने सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध था।
 
मान्यता है कि हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में गंधमादन पर्वत स्थित है। दक्षिण में केदार पर्वत है। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत में है। यहां पहुंचने के तीन रास्ते हैं पहला नेपाल के रास्ते मानसरोवर से आगे और दूसरा भूटान की पहाड़ियों से आगे और तीसरा अरुणाचल के रास्ते चीन होते हुए।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

पुरुषोत्तम मास 2020 की दान सामग्री, जानिए तिथि अनुसार क्या दान करें