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आखि‍र क्‍यों रिजेक्‍ट हो गया था ‘हिलेरी क्‍ल‍िंटन’ का ‘चांद का सफर’?

आखि‍र क्‍यों रिजेक्‍ट हो गया था ‘हिलेरी क्‍ल‍िंटन’ का ‘चांद का सफर’?
, शनिवार, 19 सितम्बर 2020 (14:15 IST)
अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी एक ऐसी जगह है जहां जाना और काम करना हर आदमी का सपना हो सकता है, हालांकि यह इतना आसान नहीं है। बेहद योग्‍य ही नासा जा सकता है।

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पूर्व विदेश मंत्री और प्रथम महिला हि‍लेरी क्‍ल‍िंटन भी ए‍क समय में नासा स्‍पेस एजेंसी की मदद से ‘चांद’ पर जाना चाहती थी।

अपनी इस यात्रा के लिए उन्होंने नासा में आवेदन भी किया था लेकिन उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था। दरअसल हिलेरी क्लिंटन एस्ट्रोनॉट बनना चाहती थीं, लेकिन नासा ने उनका आवेदन खा‍‍रिज कर दिया था

अंत में सैली राइड को पहली अं‍तरिक्ष यात्री बनाया गया था और वे अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला थीं। उन्हें यह अवसर वर्ष 1983 में मिला था। इस बार एक बार फिर इंसान चांद पर कदम रखने की तैयारी कर रहा है और ऐसी संभावना जाहिर की जा रही है कि इस बार कोई महिला चांद पर अपने पैर रख सकती है।

जबकि 1960 के दौर में नासा ने चांद पर महिलाओं के भेजने के आवेदन को सिरे से खारिज कर दिया था और कहा था कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है कि महिला अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजा जाए। जिन महिलाओं के अंतरिक्ष यात्री बनने के आवेजन को खारिज किया गया था, उनमें से एक नाम अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का भी था।

अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कई बार इस बात का जिक्र किया है कि वह अंतरिक्ष यात्री बनकर चांद पर जाना चाहती थीं। यही वजह थी कि 1961 में जब वे 14 साल की थीं तो उन्होंने चांद पर जाने के लिए NASA को आवेदन दिया था। लेकिन नासा ने यह कहते हुए कि वह लड़कियों और महिलाओं को अंतरिक्ष यात्री के तौर पर नहीं लेते, उनका आवेदन खारिज कर दिया था।

अमेरिका, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) का निजीकरण करने का इच्छुक है क्योंकि वह आने वाले कुछ वर्षों में इस महंगे अंतरिक्ष कार्यक्रम का वित्तपोषण बंद करना चाहता था। द वॉशिंगटन पोस्ट की एक खबर में यह दावा किया गया था।

अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी की निचली कक्षा में है और इस का संचालन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा करती है। इस स्टेशन को नासा ने अपने रूसी समकक्ष के साथ मिल कर संयुक्त रूप से विकसित किया है।

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