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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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लघुकथा : सम्मान और सामान

लघुकथा : सम्मान और सामान
वे बुजुर्ग हैं। पंडित भी और 'ज्ञानी' भी। रिश्ते की सारी बहुएं उनका आदर करती है। 
 
एक दिन एक बहु और बेटा उनके पैर पूरी तरह से झुककर नहीं पड़ सके तो झल्ला पड़े,'पढ़े लिखे हो?' ऐसे पड़ते हैं पैर...?   
 
लड़का खामोश, बहु पहले तो सकपकाई फिर जवाब दिया माफ कीजिएगा इससे ज्यादा सम्मान नहीं दे सकती .... 
 
अब कोई उनका सम्मान नहीं करता..सच है सम्मान और सामान ना संभालो तो गिर जाता है...दोनों ही कमाने पड़ते हैं मांगने नहीं पड़ते...  

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