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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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कविता : पतंग

Flying Kite Tips

WD Feature Desk

पतंगकट जाने पर हर कोई कहता ,
जिसके हाथ लग जाए उसकी।
पतंग अटक जाती है जब तारों में ,
और कहती है जा! ना मैं तेरी न मैं उसकी।
पता नहीं रिश्तों की पतंग कोई काट दे,
इसलिये इसे अपनी डोर से बांधे रखो।
प्रेम के कांच से सूता हुआ मांजा,
स्नेह के रंग से रंगी हुई डोर  ।
ये डोर को संभालने वाला घर जैसा उचका,
आएं, हम भी रिश्तों की पतंग को ।
कन्नै की गांठ पक्की बांधकर उड़ाएं ,
तो रिश्तों की कोई पतंग कटकर
ये ना कह पाये कि मैं किसी की नहीं
ये कहे कि मैं सबकी मैं सबकी
दूर तक उड़ कर भी बसी रहे मन में 

सारिका सोनगावकर, इंदौर





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