एक बार भाटिया जी गाड़ी में अपने
जिगरी मित्रों के साथ पिकनिक पर जा रहे थे।
गाड़ी का स्टेयरिंग भाटिया जी के हाथ में था।
गाड़ी के सामने वाले कांच से मित्रों को कुछ भी
दिखाई नहीं दे रहा था।
लेकिन तब भी भाटिया जी सड़क के तमाम गड्ढे-वड्ढे
बचाते हुए बड़ी सफाई से गाड़ी चला रहे थे।
आखिर मित्रों ने हैरान होकर पूछा---
अरे यार, सामने के कांच से हमें तो कुछ भी साफ़ नजर नहीं आ रहा। फिर भी तुम गाड़ी इतनी परफेक्टली कैसे
चला रहे हो ?
भाटिया जी -क्या बताऊं यारों? अपनी भूलने की आदत के कारण पता है अब तक मेरे 1760 चश्मे गुम चुके हैं।
मित्र : अबे, हम ड्राइविंग के बारे में पूछ रहे हैं, चश्मों के बारे में नहीं ...
भाटिया - सालों, वही तो बता रहा हूं कि चश्मे बनवा बनवा कर मैं हैरान परेशान हो गया तब......
गाड़ी का कांच ही चश्मे के नंबर वाला बनवाकर गाड़ी में लगवा लिया है।