Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

गुरु नानक देव जी पर निबंध l Essay On Gur Nanak

गुरु नानक देव जी पर निबंध l Essay On Gur Nanak

WD Feature Desk

, गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (11:13 IST)
Essay on Guru Nanak Jayanti प्रस्तावना : सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर हुआ था। तथा अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नानक जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी (अब पाकिस्तान) में हुआ था। अत: सिख धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक देव जी जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। वे सिख धर्म के संस्थापक और 10 सिख गुरुओं में सिखों के पहले गुरु हैं। उन्हें एक आध्यात्मिक नेता और दार्शनिक के रूप में जाना जाता है।
 
Highlights 
  • गुरु नानक देव जी के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
  • गुरु नानक का उपदेश क्या था?
  • छात्रों और बच्चों के लिए गुरुपर्व पर निबंध। 
बालपन और परंपरा : उनका अवतरण श्री ननकाना साहिब में एक गरीब खत्री परिवार में माता तृप्ता देवी जी और पिता कालू खत्री जी के घर हुआ था। और उनकी महानता के दर्शन बचपन से ही दिखने लगे थे। उन्होंने बचपन से ही रूढ़िवादिता के विरुद्ध संघर्ष की शुरुआत कर दी थी। जब उन्हें 11 वर्ष की उम्र में जनेऊ धारण करवाने की रीत का पालन किया जा रहा था।
 
जब पंडित जी बालक नानक देव जी के गले में जनेऊ धारण करवाने लगे तब उन्होंने उनका हाथ रोका और कहने लगे- 'पंडित जी, जनेऊ पहनने से हम लोगों का दूसरा जन्म होता है, जिसको आप आध्यात्मिक जन्म कहते हैं तो जनेऊ भी किसी और किस्म का होना चाहिए, जो आत्मा को बांध सके। आप जो जनेऊ मुझे दे रहे हो वह तो कपास के धागे का है जो कि मैला हो जाएगा, टूट जाएगा, मरते समय शरीर के साथ चिता में जल जाएगा। फिर यह जनेऊ आत्मिक जन्म के लिए कैसे हुआ? और उन्होंने जनेऊ धारण नहीं किया।'
 
गुरु नानक देव के जीवन का रोचक किस्सा : उनके जीवन के एक अन्य प्रसंग के अनुसार बड़े होने पर नानक देव जी को उनके पिता ने व्यापार करने के लिए 20 रु. दिए और कहा- 'इन 20 रु. से सच्चा सौदा करके आओ। नानक देव जी सौदा करने निकले। रास्ते में उन्हें साधु-संतों की मंडली मिली। नानक देव जी ने उस साधु मंडली को 20 रु. का भोजन करवा दिया और लौट आए। पिता जी ने पूछा- क्या सौदा करके आए? उन्होंने कहा- 'साधुओं को भोजन करवाया। यही तो सच्चा सौदा है।'
 
गुरु नानक देव की सीख : नानक जी ने लोगों को सदा ही नेक राह पर चलने की समझाइश दी। वे कहते थे कि कि साधु-संगत और गुरबाणी का आसरा लेना ही जिंदगी का ठीक रास्ता है। उनका कहना था कि ईश्वर मनुष्य के हृदय में बसता है, अगर हृदय में निर्दयता, नफरत, निंदा, क्रोध आदि विकार हैं तो ऐसे मैले हृदय में परमात्मा बैठने के लिए तैयार नहीं हो सकता है। अत: इन सबसे दूर रहकर परमात्मा का नाम ही हृदय में बसाया जाना चाहिए।
 
गुरु नानक देव जी का निधन : गुरु नानक देव जी की मृत्यु 22 सितंबर 1539 ईस्वी को आश्विन कृष्‍ण दशमी के दिन हुई थी। अपनी पूरी जिंदगी मानव समाज के कल्याण में लगाने वाले गुरु नानक देव जी ने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए। 
 
उपसंहार : गुरु नानक देव जी अपने अनुयायियों को 'नाम जपो, किरत करो और वंड छको' का संदेश दिया, जिसे उनका 'मूल मंत्र' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है नाम जपें, मेहनत करें और बांट कर खाएं। गुरु नानक देव जी शांति, एकता और प्रेम के उपदेशक थे और उन्होंने सभी जाति के लोगों को भाईचारे तथा मानवता के साथ रहने की सीख दी। वे मानवता को सबसे ऊपर मानते थे। उन्होंने हमें निर्दयता, नफरत, क्रोध, निंदा, लोभ लालच से दूर रहने की सलाह दी। तथा सबके साथ प्रेमभाव से रहना ही ईश्वर के ह्रदय में बसना होता है यह भी सिखाया। 


अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Children's Day Poem : बचपन के खूबसूरत पलों के नाम, पढ़िए ये स्वरचित कविता