Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

देवउठनी एकादशी 2019 : विष्णुप्रिया तुलसी के विवाह का शुभ दिन

देवउठनी एकादशी 2019 : विष्णुप्रिया तुलसी के विवाह का शुभ दिन
देव प्रबोधिनी एकादशी कार्तिक शुक्ल पक्ष 8 नवंबर 2019 को है। इस दिन से सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।। दीपावली के बाद आने वाली इस एकादशी को देवोत्थान, देव प्रबोधिनी और देवउठनी एकादशी भी कहते हैं।
 
देवोत्थान एकादशी- 
भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को 4 माह के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं। 4 महीने पश्चात वे कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। विष्णुजी के शयनकाल के 4 माह में विवाह आदि अनेक मांगलिक कार्यों का आयोजन निषेध है। हरि के जागने के पश्चात यानी भगवान विष्णु के जागने बाद ही सभी मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं।
 
कथा-
 
एक बार भगवान विष्णु से उनकी प्रिया लक्ष्मीजी ने आग्रह के भाव में कहा- हे भगवान! अब आप दिन-रात जागते हैं, लेकिन एक बार सोते हैं तो फिर लाखों-करोड़ों वर्षों के लिए सो जाते हैं तथा उस समय समस्त चराचर का नाश भी कर डालते हैं इसलिए आप नियम से विश्राम किया कीजिए। आपके ऐसा करने से मुझे भी कुछ समय आराम का मिलेगा।
 
लक्ष्मीजी की बात भगवान को उचित लगी। उन्होंने कहा कि तुम ठीक कहती हो। मेरे जागने से सभी देवों और खासकर तुम्हें कष्ट होता है। तुम्हें मेरी सेवा से वक्त नहीं मिलता इसलिए आज से मैं हर वर्ष 4 मास वर्षा ऋतु में शयन किया करूंगा। मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलयकालीन महानिद्रा कहलाएगी। यह मेरी अल्पनिद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी रहेगी। इस दौरान जो भी भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे, मैं उनके घर तुम्हारे समेत निवास करूंगा।
 
तुलसी विवाह
 
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक मास में जो मनुष्य तुलसी का विवाह भगवान से करते हैं, उनके पिछले जन्मों के सब पाप नष्ट हो जाते हैं।
 
कार्तिक मास में स्नान करने वाली स्त्रियां कार्तिक शुक्ल एकादशी को शालिग्राम और तुलसी का विवाह रचाती हैं। समस्त विधि-विधानपूर्वक गाजे-बाजे के साथ एक सुंदर मंडप के नीचे यह कार्य संपन्न होता है। विवाह के समय स्त्रियां गीत तथा भजन गाती हैं।
 
मगन भई तुलसी राम गुन गाइके, मगन भई तुलसी।
सब कोऊ चली डोली पालकी रथ जुड़वाये के।।
साधु चले पांय पैया, चींटी सो बचाई के।
मगन भई तुलसी राम गुन गाइके।।
 
दरअसल, तुलसी को विष्णुप्रिया भी कहते हैं। तुलसी विवाह के लिए कार्तिक शुक्ल की नवमी ठीक तिथि है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना शुभ होता है। लेकिन लोग एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी पूजन करके 5वें दिन तुलसी का विवाह करते हैं। तुलसी विवाह की यही पद्धति बहुत प्रचलित है।
 
शास्त्रों में कहा गया है कि जिन दंपतियों के संतान नहीं होती, वे जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य अवश्य प्राप्त करें।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Nanak Jayanti 2019 : सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती