Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

मौत के बाद तस्लीमा नसरीन को दफनाया नहीं जाएगा

मौत के बाद तस्लीमा नसरीन को दफनाया नहीं जाएगा
नई दिल्ली , बुधवार, 23 मई 2018 (15:54 IST)
नई दिल्ली। मशहूर बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन अपने हाल के बयान को लेकर चर्चा में हैं। तस्लीमा ने मौत के बाद अपने शरीर को दफनाने की बजाय एम्स में रिचर्स के लिए दान देने का फैसला किया है।
 
उन्होंने मंगलवार को अपने ट्विटर अकाउंट पर यह जानकारी दी। लेखिका ने अपने ट्वीट में एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ एनॉटमी की डॉनर स्लिप भी साझा की। लोगों ने तस्लीमा के इस नेक काम की जमकर तारीफ की और ट्विटर पर जमकर प्रतिक्रिया दी।
 
बांग्लादेश मूल की लेखिका तस्लीमा नसरीन नारीवाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर बेहद मुखर रहीं हैं। इसकी वजह से वह कट्टरपंथियों के निशाने पर भी रहती हैं। साल 1962 में जन्मी तस्लीमा पेशे से एक फिजीशियन हैं और उन्हें स्वीडन की नागरिकता भी प्राप्त है।
 
उन्होंने अपने उपन्यास लज्जा में इस्लाम पर की गई टिप्पणी से तस्लीमा ने कट्टरपंथी मुस्लिमों को नाराज कर दिया था, जिसके बाद वे कट्टरपंथी मुस्लिमों के निशाने पर आ गईं और उन्होंने नसरीन की मौत पर इनाम का ऐलान भी कर दिया था। बाद में, तस्लीमा वर्ष 1994 में बांग्लादेश छोड़कर स्वीडन में बस गई। 
 
वह साल 2005 में भारत आ गई, तब से नसरीन यहां निर्वासित जीवन यापन कर रही हैं। कुछ साल पहले वे तब चर्चा में आ गई थीं, जब ढाका में कुछ आतंकियों ने एक रेस्टोरेंट में हमला कर 20 लोगों की हत्या कर दी थी। तब तस्लीमा ने ट्वीट कर कहा था कि 'इस्लाम को शांति का धर्म कहना बंद कीजिए' और उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा था 'आपको इस्लामिक आतंकवादी बनने के लिए गरीबी, अज्ञानता, अमेरिका की विदेश नीति, इसराइल की साजिश नहीं चाहिए, बस आपको इस्लाम चाहिए।' 
 
तस्लीमा खुद एक मुस्लिम हैं, लेकिन वह खुद को नास्तिक मानती हैं। तस्लीमा नसरीन देश के विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखने के लिए जानी जाती हैं।  

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

ओडिशा में हुई भारी बारिश, सड़क एवं ट्रेन यातायात प्रभावित