Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

बाल कविता : लकड़ी का घोड़ा

बाल कविता : लकड़ी का घोड़ा

कृष्ण वल्लभ पौराणिक

कड़ी का घोड़ा है मेरा
देखो कैसा टप-टप चलता
मेरी टांगों के अंदर से
अपना मुंह ऊंचा कर चलता है ...1

हिन हिन हिन हिन जब मैं करता
मेरे साथ उचककर चलता
सर सर सर सर पूंछ सरकती
कभी-कभी छलांगे भरता ...2
 
मुझसे हिला हुआ है घोड़ा
जीन कभी कसने ना देता
मेरे हाथ लगाम बने हैं
और किसे चढ़ने ना देता ...3
 
दाना-पानी नहीं मांगता
मैं जब चाहूं वह सुस्ताता
खेल-खिलौने जहां पड़े हैं
खड़े-खड़े ही यह सो जाता ...4
 
मैं ही बस इसका मालिक हूं
मुझको यह सदैव ही भाता
चाहे कोई मांगे मुझसे
मुझसे ना है छोड़ा जाता ...5

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

स्तनों से सामान तोड़ती है यह महिला (वीडियो)