Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

लावारिस लाशों की मसीहा : इंदौर की महिला कर रही अनजान लोगों का अंतिम संस्कार

लावारिस लाशों की मसीहा : इंदौर की महिला कर रही अनजान लोगों का अंतिम संस्कार
, रविवार, 14 मई 2023 (13:47 IST)
इंदौर (मध्य प्रदेश)। वक्त की तमाम करवटों के बावजूद देश के श्मशानों में महिलाओं द्वारा शवों के अंतिम संस्कार के दृश्य कम ही सामने आते हैं, लेकिन इंदौर की डॉ. भाग्यश्री खड़खड़िया आधी आबादी के उन चेहरों में शामिल हैं जो इस परिपाटी को बदल रहे हैं। 32 साल की महिला को लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार पूरे धार्मिक रीति-रिवाज से करते देखा जा सकता है।

खड़खड़िया ने रविवार को बताया, हत्याकांड या हादसे में मारे गए लोगों की शिनाख्त नहीं हो पाने से अंतिम संस्कार के लिए उनके परिवार के लोग नहीं मिल पाते। मैं ऐसे लोगों और निराश्रित बुजुर्गों का अंतिम संस्कार करती हूं। इन शवों के बारे में मुझे पुलिस और अस्पतालों से सूचना मिलती है।

उन्होंने बताया कि वह पांच साल से ज्यादा वक्त से ऐसे लोगों का भी अंतिम संस्कार कर रही हैं जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है या किन्हीं कारणों से उनके परिजन उनकी अंत्‍येष्टि करना नहीं चाहते। खड़खड़िया ने कहा, श्मशान मेरे लिए एक पवित्र स्थान है जहां से हमें मोक्ष का मार्ग मिलता है। यह वह जगह कतई नहीं है जहां महिलाओं का आना वर्जित हो।

उन्होंने बताया कि उन्हें लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की प्रेरणा इंदौर के फादर टेरेसा के नाम से मशहूर समाजसेवी अमरजीत सिंह सूदन से मिली। कई लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके सूदन का वर्ष 2020 में निधन हो गया था।

खड़खड़िया ने बताया, मैं लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में सूदन की मदद करती थी। उन्होंने कहा कि शवों के अंतिम संस्कार के वक्त उनके सामने ऐसे पल भी आते हैं जो उनके लिए भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण होते हैं।

खड़खड़िया याद करती हैं, एक बार मैंने शहर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय के परिसर में मिले ऐसे निराश्रित बुजुर्ग को बचाया था जिनका एक हाथ टूटा हुआ था और उनके शरीर में कीड़े लग चुके थे। मैंने उनके शरीर के कीड़े साफ करके उनका इलाज कराया और उन्हें एक आश्रम में रखा था, लेकिन कुछ ही दिन बाद उनकी मौत हो गई।

उन्होंने बताया कि निराश्रित बुजुर्ग के अंतिम संस्कार के वक्त वह भावुक हो गई थीं। खड़खड़िया ने कहा कि शहर में वर्ष 2021 के दौरान कोविड-19 के घातक प्रकोप के कारण श्मशानों में लगातार चिताएं जल रही थीं और इस महामारी की दहशत का आलम यह था कि लोग अंतिम संस्कार के बाद अपने परिजनों की अस्थियां लेने नहीं आ रहे थे। उन्होंने बताया, मैंने शहर के एक श्मशान के कोने में पड़ीं अस्थियों को बोरों में भरा और विधि-विधान से इनका विसर्जन किया।

खड़खड़िया के मुताबिक उन्होंने पुरातत्व शास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है। उनके पति नवीन खड़खड़िया रेलवे में काम करते हैं। इस दंपति का चार साल का बेटा है। खड़खड़िया के पति ने कहा, मेरी पत्नी पुण्य का काम कर रही हैं और मुझे उन पर गर्व है। उन्होंने कहा कि लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार में वह अपनी पत्नी की आर्थिक मदद करते हैं और वक्त मिलने पर उसके साथ श्मशान जाकर उसका हाथ भी बंटाते हैं।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

कहां है आपका गुम मोबाइल, नए ट्रेकिंग सिस्टम से चलेगा पता