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जौन एलिया का ‘दर्द’ सीधा आज के युवाओं से ‘कनेक्‍ट’ होता है, पढ़ते हैं उनके 10 मशहूर शेर

जौन एलिया का ‘दर्द’ सीधा आज के युवाओं से ‘कनेक्‍ट’ होता है, पढ़ते हैं उनके 10 मशहूर शेर
, सोमवार, 8 नवंबर 2021 (17:10 IST)
मशहूर कवि‍ और शायर जॉन एलिया आज युवाओं में बेहद लोकप्र‍िय हैं। सोशल मीडि‍या में हर दूसरा या तीसरा शेर उनका मिल जाएगा। इतनी लो‍कप्र‍ियता उन्‍हें उनके रहते भी नहीं मिल सकी थी। उनके शेरों में एक कशि‍श, एक अपना सा दर्द महसूस होता है, जो सीधा युवाओं से कनेक्‍ट होता है।

जौन एलिया का जन्म 14 दिसंबर, 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोह में हुआ था। भारत-पाकिस्तान का बंटवारा होने के बाद जॉन एलिया 1957 में कराची चले गए। जॉन एलिया को उर्दू के साथ-साथ अरबी, अंग्रेजी, फ़ारसी, संस्कृत और हिब्रू भाषा का अच्छा ज्ञान था।

‘शायद’, ‘यानी’, ‘गुमान’ और ‘गोया’ आदि उनकी शायरी और कविता की प्रमुख कृतियां हैं। जौन एलिया का निधन 8 नवंबर, 2002 को हुआ था। आइए पढ़ते हैं उनके संकलन से कुछ चुनिंदा शेर।

कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे

बिन तुम्‍हारे कभी नहीं आई
क्‍या मि‍री नींद भी तुम्‍हारी है

सीना दहक रहा हो तो क्या चुप रहे कोई
क्यूं चीख़ चीख़ कर न गला छील ले कोई

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं

ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में

बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या

कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने

वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था
आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे

(जौन एलिया के संकलन से )

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