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क्या मोबाइल और इंटरनेट के युग में हिन्दी बचेगी?

क्या मोबाइल और इंटरनेट के युग में हिन्दी बचेगी?
, बुधवार, 1 सितम्बर 2021 (18:35 IST)
14 दिसंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाएगा। आधुनिक युग में इंटरनेट के बढ़ते प्रचलन के बीच हिन्दी ने अपना भी एक मकाम बनाया है लेकिन सोशल मीडिया के युग में अब वह धीरे-धीरे बदलावा की ओर कदम बढ़ा रही है। आओ जानते हैं कि क्या हिन्दी बचेगी या रहेगी।
 
1. दुनियाभर में कई भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं लेकिन इन सबके लिए इंटरनेट पर इंग्लिश एक साझा भाषा है और ये एकदम अलग किस्म की भाषा के तौर पर उभर रही है।
 
2. कुछ भाषा विज्ञानी मानते हैं कि आने वाले 10-15 सालों में अंग्रेजी भाषा इंटरनेट पर राज करेगी लेकिन वो अंग्रेजी भाषा आज की अंग्रेजी से जुदा होगी। 
 
3. आने वाले समय में इंटरनेट की इस साझा भाषा के चलते हिन्दी ही नहीं, अन्य कई भाषाएं भी हिंग्लिश जैसी होती जा रही हैं। हिंग्लिश यानी हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेजी के मिश्रण से बनी भाषा, जो भारतीय ऑनलाइन उपभोक्ताओं के बीच काफी आम है।
 
4. तकनीकी कठिनाइयों के चलते हिन्दी या अन्य भाषाओं को भी अब रोमन लिपि में लिखे जाने का प्रचलन भी तेजी से बड़ा है। इसके चलते रोमन लिपि का विस्तार हुआ है। एसएमएस, वॉट्सएप, ट्विटर और फेसबुक के जरिए हिन्ही अब रोमन में ढलने लगी है।
 
5. रोजमर्रा की जिंदगी में जिस तरह इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है वो मिश्रित भाषा के फलने-फूलने का जरिया बन गया है, लेकिन यह मिश्रित भाषा उस सेतु की तरह है जिस पर से चलकर संपूर्ण भारत अंग्रेजीमय बन जाएगा।
 
6. आने वाली पीढ़ी अब आज से 30 साल पहले वाली हिन्दी, पंजाबी, गुजराती या अन्य भारतीय भाषा नहीं समझती है। बच्चे अब अंग्रेजी के अंक ही समझते हैं। 
 
7. जब आम जनता अब हिन्दी नहीं समझती है तो निश्‍चित ही हिंग्लिश के चलते इंटरनेट पर इसी भाषा में कंटेंट बनाने का की मजबूतरी भी रहती है। ऐसे में हिन्दी धीरे-धीरे और भी हाशिये पर चली जाए तो कोई अचरज वाली बात नहीं है।
 
8. इंटरनेट के प्रारंभिक युग में साहित्य की सोच रखने वाले ब्लॉगरों ने खूब क्लिष्ट और अशिष्ट हिन्दी को परोसा जिसके चलते हिन्दी के प्रति आने वाली युवा पीढ़ी कभी आकर्षित नहीं हो पाई, वह अंग्रेजी को ही महत्व देती रही।
 
9. इंटरनेट पर कभी हिन्दी में स्तरीय और स्थायी महत्व की सामग्री डालने का कम ही प्रयास हुआ है। इंटरनेट और वाट्सऐप को तो हिन्दी में भड़ास निकालने का माध्यम बनाकर छोड़ रखा है।
 
10. सभी तरह के प्रयास और कयासों के बीच भी एक बात तो यह उभरकर सामने आती है कि भले ही इंटरनेट पर अंग्रेजी का भविष्य उज्जवल है लेकिन हिन्दी भी अपना वजूद बरकरार रखेगी। 

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