कृपाशंकर बिश्नोई (अर्जुन अवॉर्डी)
पुणे में 27 अक्टूबर से शुरू हुई ऑल इंडिया पुलिस गेम में कुश्ती में हिसार जिले के गांव घिराय की बेटी निर्मला बूरा ने सोने का तमगा जीतकर गांव का नाम रोशन किया। निर्मला बूरा की जीत की खुशी पैतृक गांव घिराय में भी देखने को मिली।
परिजनों और ग्रामीणों ने जीत का जश्न मनाया। वहीं गांव के सरपंच राजेश बूरा ने निर्मला बूरा के घर पहंचकर परिजनों को जीत की बधाई देते हुए कहा, जिस तरह निर्मला ने कुश्ती में गोल्ड मेडल जीतकर गांव का नाम रोशन किया ये गांव और देश के लिए गर्व की बात है।
2010 में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में रजत पदक विजेता निर्मला की कहानी
निर्मला के फौजी दादा प्रताप सिंह बूरा भी पहलवान थे। कुश्ती के दौरान हादसा हुआ। गर्दन पर चोट लगी और प्रताप सिंह बचाए नहीं जा सके थे। तब निर्मला के पिता ईश्वर सिंह छह महीने के थे। डेढ़ साल बाद उनकी मां का भी निधन हो गया और ईश्वर सिंह अपने ताई—ताऊ की गोद में पले।
आज पोती देश व प्रदेश का नाम रोशन कर रही है तो भला प्रताप पहलवान को कोई कैसे भूल सकता था। दादाजी के कुश्ती प्रेम के किस्से सुनकर ही निर्मला बड़ी हुई। निर्मला घिराय गांव में कबड्डी खेलती थी।
हिसार में गीतिका जाखड़ को कुश्ती करते देखा तो खून में मौजूद पहलवानी जोर मारने लगी। मगर परिवार ने कुश्ती करने से रोका। कभी दादाजी के साथ हुए हादसे के बहाने तो कभी गांववालों के तानों के कारण।
वे कहते थे, लड़की होकर पहलवानी करेगी क्या? मां किताबो देवी को मनाना मुश्किल था। मगर निर्मला ने जिद नहीं छोड़ी। उसे सबसे ज्यादा हौसला मिला बड़े दादाजी भजन सिंह बूरा से।
किसान पिता ईश्वर सिंह बताते हैं- मेरे ताऊजी निर्मला को मेरे पिता के किस्से सुनाते थे। अगर हमने उसे कुश्ती करने से रोका तो वह उसे खेलने भेज देते थे।
किस्मत भी हौसले वालों का साथ देती है। निर्मला ने 2001 में कुश्ती को गंभीरता से लिया और राष्ट्रीय कुश्ती में वह चैंपियन बन गई। दुबली पतली होने के कारण कोच सतबीर पंढाल और सुभाष चंद्र ने उससे मांसाहार लेने को कहा मगर उसने भी कह दिया, हमारे लिए दूध दही ही काफी है।
निर्मला ने पांच साल लगातार राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती। 2003 में उसकी उपलब्धियों को सरकार ने भी माना और हरियाणा पुलिस में उसे नौकरी मिल गई। कनाडा में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक पाने के बाद 2007 में वह सब इंस्पेक्टर बना दी गईं। 2010 में स्पेन में अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में भी उन्होंने स्वर्ण पदक जीता।
ईश्वर सिंह के पांच बच्चों में निर्मला सबसे बड़ी है। छोटी बहन की शादी हो चुकी है। सबसे छोटी पूनम भी पहलवान है। भाई कबड्डी खेलते हैं। खुद निर्मला कब शादी करेगी? उसने कहा कि अभी कोई फुर्सत नहीं है। अभी तो 2018 में एशियाड और कॉमनवेल्थ खेल होगा और फिर दो साल बाद ओलंपिक्स - निर्मला का लक्ष्य साफ है।