Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

बाल कथा : कश्मीर की रानी के मनोरंजन हेतु लिखी गई 'कथासरित्सागर'

बाल कथा : कश्मीर की रानी के मनोरंजन हेतु लिखी गई 'कथासरित्सागर'

अनिरुद्ध जोशी

बच्चों का मानसिक विकास कहानियां, चित्रकथाएं पढ़ने और पहेलियां सुलझाने के साथ ही माता-पिता और शिक्षकों से बेझिझक बातचीत करने से बढ़ता है। पंचतंत्र, जातक कथा, बाल कहानी संग्रह, उपनिषद की कहानियां, हितोपदेश, वेताल पच्चीसी, सिंहासन बत्तीसी, तेनालीराम की कहानियां, शुकसप्तति आदि कई कहानियों की पुस्तकें हैं। उन्हीं में से एक है कथासरित्सागर। आओ जानते हैं इसके बारे में 6 खास जानकारी।
 
 
कथासरित्साग ( kathasaritsagara ) :
1. कथासरित्सागर नामक ग्रंथ संस्कृत साहित्य का शिरोमणि ग्रंथ है। 
 
2. इसकी रचना कश्मीर में पंडित सोमदेव (भट्ट) ने त्रिगर्त अथवा कुल्लू कांगड़ा के राजा की पुत्री, कश्मीर के राजा अनंत की रानी सूर्यमती के मनोविनोदार्थ 1063 ईस्वी और 1082 ईस्वी के मध्य की थी। 
 
3. कथासरित्सागर में 21,388 पद्म हैं और इसे 124 तरंगों में बांटा गया है। 
 
4. कथासरित्सागर स्रोत राजा सातवाहन के मंत्री 'गुणाढ्य' द्वारा रचित 'बड़कहा' (संस्कृत : बृहत्कथा) नामक ग्रंथ है।
 
5. सोमदेव ने स्वयं कथासरित्सागर के आरंभ में कहा है : मैं बृहत्कथा के सार का संग्रह कर रहा हूं। बृहत्कथा की रचना ईसा पूर्व 495 में हुई थी।
 
6. कथासरित्सागर में कुल 18 लंबक है। इसे आप 18 मुख्य कहानियां मान सकते हो।
 
1. कथापीठ, 2.कथामुख 3. लावणक 4. नरवाहनदत्तजनन, 5.चतुर्दारिका (चार पत्नियां) 6.मदनमञ्चुका, 7. रत्नप्रभा, 8. सूर्यप्रभा, 9. अलङ्कारवती, 10.शक्तियशस्‌, 11. वेला, 12. शशांकवती, 13. मदिरावती, 14. पञ्च, 15. महाभिषेक, 16. सुरतमञ्जरी, 17. पद्मावती और 18. विषमशील।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

आम के छिलके, भूलकर भी न फेंकें, जानें इसके गजब के फायदे