Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

कविता : तमन्नाओं पे शर्मिंदा

Webdunia
डॉ. रूपेश जैन 'राहत'

अपनी तमन्नाओं पे शर्मिंदा क्यूं हुआ जाए,
एक हम ही नहीं जिनके ख़्वाब टूटे हैं।
 
इस दौर से गुजरे हैं ये जान-ओ-दिल,
संगीन माहौल में जख़्म सम्हाल रखे हैं।
 
नजर उठाई बेचैनी शरमा के मुस्कुरा गई,
ख़्वाब कुछ हसीन दिल से लगा रखे हैं।
 
दियार-ए-सहर1 में दर्द-शनास2 हूं तो क्या,
बेरब्त उम्मीदों में ग़मजदा और भी हैं।
 
अहद-ए-वफा3 करके 'राहत' जुबां चुप है,
वरना आरजुओं के ऐवां4 और भी हैं।
 
शब्दार्थ-
 
1. दियार-ए-सहर- सुबह की दुनिया
2. दर्द-शनास- दर्द समझने वाला 
3. अहद-ए-वफा- प्रेम प्रतिज्ञा
4. ऐवां- महल

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

धनतेरस सजावट : ऐसे करें घर को इन खूबसूरत चीजों से डेकोरेट, आयेगी फेस्टिवल वाली फीलिंग

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

फ्यूजन फैशन : इस दिवाली साड़ी से बने लहंगे के साथ करें अपने आउटफिट की खास तैयारियां

अपने बेटे को दीजिए ऐसे समृद्धशाली नाम जिनमें समाई है लक्ष्मी जी की कृपा

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

सभी देखें

नवीनतम

सिखों के 7वें गुरु, गुरु हर राय जी की पुण्यतिथि, जानें 5 खास बातें

जर्मनी का आधा मंत्रिमंडल इस समय भारत में

एक खोया हुआ ख़ज़ाना जिसने लाओस में भारतीय संस्कृति उजागर कर दी

Diwali Recipes : दिवाली स्नैक्स (दीपावली की 3 चटपटी नमकीन रेसिपी)

फेस्टिव दीपावली साड़ी लुक : इस दिवाली कैसे पाएं एथनिक और एलिगेंट लुक

આગળનો લેખ
Show comments