Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

क्यों मनाई जाती है लोहड़ी : क्या है लोहड़ी का अर्थ

Webdunia
क्या है लोहड़ी- मकर संक्रांति से पहले वाली रात को सूर्यास्त के बाद मनाया जाने वाला पंजाब प्रांत का पर्व है लोहड़ी, जिसका का अर्थ है- ल (लकड़ी)+ ओह (गोहा यानी सूखे उपले)+ ड़ी (रेवड़ी)। इस पर्व के 20-25 दिन पहले ही बच्चे 'लोहड़ी' के लोकगीत गा-गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं। फिर इकट्‍ठी की गई सामग्री को चौराहे/मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाते हैं। इस उत्सव को पंजाबी समाज बहुत ही जोशो-खरोश से मनाता है। गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में लोहड़ी के समय जलती हुई अग्नि में उन्हें भेंट किया जाता है। इसे 'चर्खा चढ़ाना' कहते हैं।
 
इस उत्सव का एक अनोखा ही नजारा होता है। लोगों ने अब समितियां बनाकर भी लोहड़ी मनाने का नया तरीका निकाल लिया है। ढोल-नगाड़ों वालों की पहले ही बुकिंग कर ली जाती है। अनेक प्रकार के वाद्य यंत्रों के साथ जब लोहड़ी के गीत शुरू होते हैं तो स्त्री-पुरुष, बूढ़े-बच्चे सभी स्वर में स्वर, ताल में ताल मिलाकर नाचने लगते हैं।
गाने की धूम : इस अवसर पर 'ओए, होए, होए, बारह वर्षी खडन गया सी, खडके लेआंदा रेवड़ी...', इस प्रकार के पंजाबी गाने लोहड़ी की खुशी में खूब गाए जाएंगे। लोहड़ी पर शाम को परिवार के लोगों के साथ अन्य रिश्तेदार भी इस उत्सव में शामिल होते हैं।
 
मिठास का पर्व : यद्यपि बधाई के साथ अब तिल के लड्डू, मिठाई, ड्रायफूट्‍स आदि देने का रिवाज भी चल पड़ा है फिर भी रेवड़ी और मूंगफली का विशेष महत्व बना हुआ है। इसीलिए रेवड़ी और मूंगफली पहले से ही खरीदकर रख ली जाती है। बड़े-बुजुर्गों के चरण छूकर सभी लोग बधाई के गीत गाते हुए खुशी के इस जश्न में शामिल होते हैं।
 
इस पर्व का एक यह भी महत्व है कि बड़े-बुजुर्गों के साथ उत्सव मनाते हुए नई पीढ़ी के बच्चे अपनी पुरानी मान्यताओं एवं रीति-रिवाजों का ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं ताकि भविष्य में भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी उत्सव चलता ही रहे।
 
वहां सभी उपस्थित लोगों को यही चीजें प्रसाद के रूप में बांटी जाती हैं। इसके साथ ही पंजाबी समुदाय में घर लौटते समय 'लोहड़ी' में से 2-4 दहकते कोयले भी प्रसाद के रूप में घर लाने की प्रथा आज भी जारी है। ढोल की थाप के साथ गिद्दा नाच का यह उत्सव शाम होते ही शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता ही रहता है।
 
लोहड़ी कैसे मनाते हैं : लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपले भी रखे जाते हैं। समूह के साथ लोहड़ी पूजन करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी एवं मूंगफली का भोग लगाया जाता है। इस अवसर पर ढोल की थाप के साथ गिद्दा और भांगड़ा नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं।
 
पंजाबी समाज में इस पर्व की तैयारी कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती है। इसका संबंध मन्नत से जोड़ा गया है अर्थात जिस घर में नई बहू आई होती है या घर में संतान का जन्म हुआ होता है, तो उस परिवार की ओर से खुशी बांटते हुए लोहड़ी मनाई जाती है। सगे-संबंधी और रिश्तेदार उन्हें इस दिन विशेष सौगात के साथ बधाइयां भी देते हैं।
 
धार्मिक पर्व : लोहड़ी एवं मकर संक्रांति एक-दूसरे से जुड़े रहने के कारण सांस्कृतिक उत्सव और धार्मिक पर्व का एक अद्भुत त्योहार है। लोहड़ी के दिन जहां शाम के वक्त लकड़ियों की ढेरी पर विशेष पूजा के साथ लोहड़ी जलाई जाएगी, वहीं अगले दिन प्रात: मकर संक्रांति का स्नान करने के बाद उस आग से हाथ सेंकते हुए लोग अपने घरों को आएंगे। इस प्रकार लोहड़ी पर जलाई जाने वाली आग सूर्य के उत्तरायन होने के दिन का पहला विराट एवं सार्वजनिक यज्ञ कहलाता है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

परीक्षा में सफलता के लिए स्टडी का चयन करते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

Shani Gochar 2025: शनि ग्रह मीन राशि में जाकर करेंगे चांदी का पाया धारण, ये 3 राशियां होंगी मालामाल

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

सभी देखें

धर्म संसार

29 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

29 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

वृश्चिक राशि में बुध ने चली वक्री चाल, 2 राशियों की जिंदगी में होगा कमाल

मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा

उदयपुर सिटी पैलेस में जिस धूणी-दर्शन को लेकर मेवाड़ राजपरिवार के बीच विवाद हुआ, जानिए उसका इतिहास क्या है

આગળનો લેખ
Show comments