Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

बहुचर्चित शक्तिमान घोड़े की मौत का जिन्न फिर से बोतल से बाहर

बहुचर्चित शक्तिमान घोड़े की मौत का जिन्न फिर से बोतल से बाहर

एन. पांडेय

, मंगलवार, 10 मई 2022 (13:11 IST)
नैनीताल। उत्तराखंड के  बहुचर्चित शक्तिमान घोड़े की मौत मामले में एक बार फिर से नैनीताल हाईकोर्ट ने मामले में गृह सचिव को याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन को चार हफ्ते के भीतर निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। बहुचर्चित शक्तिमान घोड़े मामले में उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी कई बार घिर चुके हैं।
 
अब हाईकोर्ट ने पुलिस के शक्तिमान घोड़े की मौत के मामले में गृह सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता के आवेदन का चार सप्ताह के भीतर निपटारा करें। याचिकाकर्ता ने मामले में देहरादून के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट से बरी हुए पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और इस केस से संबंधित सभी पत्रावलियां दिलाने का अनुरोध किया था।
 
न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। होशियार सिंह बिष्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि 14 मार्च 2016 को विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा का धरना प्रदर्शन था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रिस्पना नदी पर रोक लिया था। 
 
झड़प के दौरान पुलिस के शक्तिमान घोड़े की टांग टूट गई थी। उसका पैर काटकर कृत्रिम पैर लगाया गया लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। पुलिस ने बलुआ करने के आरोप में गणेश जोशी, प्रमोद बोरा, जोगेंद्र सिंह पुंडीर, अभिषेक गौर और राहुल रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
 
पुलिस ने इन पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में सरकार ने केस वापस लेने के लिए कोर्ट में दो बार प्रार्थना पत्र दिया लेकिन कोर्ट ने केस वापस लेने की अनुमति नहीं दी। कुछ समय बाद आरोपियों को जमानत मिल गई। 23 सितंबर 2021 को सीजेएम कोर्ट देहरादून ने इन पांचों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
 
याचिकाकर्ता का कहना था कि आरोपियों ने पशु क्रूरता की है। निचली अदालत ने इन्हें सबूतों के अभाव में बरी किया जबकि इनके खिलाफ कई सबूत हैं। पुलिस की वीडियोग्राफी भी है। इसलिए इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए उन्हें सीजेएम कोर्ट देहरादून से केस की समस्त पत्रावलियां दिलाई जाएं। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने से पहले उन्होंने पत्रावली देने के लिए सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि वे इस केस में पक्षकार नहीं हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

दिल्ली में फिर चला बुलडोजर, अवैध निर्माण हटाया