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परीक्षा पे चर्चा में पीएम मोदी ने बढ़ाया छात्रों का उत्साह, कहा- मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता

परीक्षा पे चर्चा में पीएम मोदी ने बढ़ाया छात्रों का उत्साह, कहा- मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता
नई दिल्ली , शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022 (12:43 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के जरिए छात्रों से चर्चा कर रहे हैं। कार्यक्रम से जुड़ी हर जानकारी...

-स्वच्छता की मेरी भावनाओं को चार चांद लगाने का काम मेरे देश के बालक-बालिकाओं ने किया है। स्वच्छता की इस यात्रा में आज हम जहां पहुंचे हैं, उसका सबसे ज्यादा क्रेडिट में बालक-बालिकाओं को देता हूं। ऐसे कई बच्चे हैं, जिन्होंने कई बार अपने परिजनों को इधर-उधर कूड़ा फैंकने पर टोका है।
-आज हर परिवार के लिए बेटी बहुत बड़ी शक्ति बन गई हैं। ये बदलाव बहुत अच्छा है। ये बदलाव जितना ज्यादा होगा, उतना लाभ होगा।
-आज खेलकूल में भारत की बेटियां हर जगह पर अपना नाम रोशन कर रही हैं। विज्ञान के क्षेत्र में हमारी बेटियों का आज पराक्रम दिखता है। 10वीं, 12वीं में भी पास होने वालों में बेटियों की संख्या ज्यादा होती हैं।
-समाज बेटियों के सामर्थ को जानने में अगर पीछे रह गया, तो वो समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता। मैंने ऐसी कई बेटियां देखी हैं, जिन्होंने मां-बाप के सुख और उनकी सेवा के लिए शादी तक नहीं की और अपनी पूरी जिंदगी खपा दी।
-सिर्फ परीक्षा के लिए दिमाग खपाने के बजाए, खुद को योग्य, शिक्षित व्यक्ति बनाने के लिए, विषय का मास्टर बनने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए। फिर परिणाम जो मिलेगा, सो मिलेगा।
 
-कभी-कभी आप खुद का भी एग्जाम लें, अपनी तैयारियों पर मंथन करें, रीप्ले करने की आदत बनाएं, इससे आपको नई दृष्टि मिलेगी।
अनुभव को आत्मसात करने वाले रीप्ले बड़ी आसानी से कर लेते हैं, जब आप खुले मन से चीजों से जुड़ेंगे तो कभी भी निराशा आपके दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकती।
-प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता है। खुद को जानना बहुत जरूरी है। उसमें भी कौन सी बातें हैं जो आपको निराश करती हैं, उन्हें जानकर अलग कर लें। फिर आप ये जाने लें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से प्रेरित करती हैं। आप स्वयं के विषय पर जरूर विश्लेषण कीजिए। सहानुभूति लेने से बचें। इससे कमजोरी आएगी।
-ध्यान बहुत सरल है। आप जिस पल में हैं, उस पल को जीने की कोशिश कीजिए। अगर आप उस पल को जी भरकर जीते हैं तो वो आपकी ताकत बन जाता है। ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है। जो वर्तमान को जान पाता है, जो उसे जी पाता है, उसके लिए भविष्य के लिए कोई प्रश्न नहीं होता है।
-हर विद्यार्थी को लगता है कि मुझे याद नहीं रहता है, ये मैं भूल गया। लेकिन आप देखेंगे कि एग्जाम के समय पर अचानक ऐसी चीजें निकलने लगेंगी के आप सोचेंगे कि मैनें तो कभी इस विषय को छुआ तक नहीं था, लेकिन अचानक सवाल आ गया और मेरा जवाब भी बहुत अच्छा रहा।
 
-प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक हम बच्चे की शक्ति, सीमाएं, रुचि और उसकी अपेक्षा को बारीकी से जानने का प्रयास नहीं करते हैं, तो कहीं न कहीं वो लड़खड़ा जाता है। इसलिए मैं हर अभिभावक और शिक्षक को कहना चाहूंगा कि आप अपने मन की आशा, अपेक्षा के अनुसार अपने बच्चे पर बोझ बढ़ जाए, इससे बचने का प्रयास करें।
-लेकिन अब बच्चा दिन भर क्या करता है, उसके लिए मां बाप के पास समय नहीं है। शिक्षक को केवल सिलेबस से लेना देना है कि मेरा काम हो गया, मैंने बहुत अच्छी तरह पढ़ाया। लेकिन बच्चे का मन कुछ और करता है।
-खुद को जानना बहुत जरूरी है। उसमें भी कौन सी बातें हैं जो आपको निराश करती हैं, उन्हें जानकर अलग कर लें। फिर आप ये जाने लें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से प्रेरित करती हैं। आप स्वयं के विषय पर जरूर विश्लेषण कीजिए। 
 
-एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा- पुराने जमाने में शिक्षक का परिवार से संपर्क रहता था। परिवार अपने बच्चों के लिए क्या सोचते हैं उससे शिक्षक परिचित होते थे। शिक्षक क्या करते हैं, उससे परिजन परिचित होते थे। यानि शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था।
-मैं सबसे पहले परिजनों से और शिक्षकों से ये कहना चाहूंगा कि आप अपने सपने, जिन्हें आप पूरा नहीं कर पाए, उन्हें आप बच्चों पर डालने का प्रयास न करें। हमारे बच्चों के विकास में ये सब बहुत चिंता का विषय है।
-हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको इन्वॉल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे।
 
-एक अन्य सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि देश के भविष्‍य के लिए है नई शिक्षा नीति। इस देश के लोगों ने बनाया है। नई शिक्षा नीति से नए अवसर मिलेंगे। इसमें हुनर बढ़ाने पर जोर दिया गया है। हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको इन्वॉल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे। पहले हमारे यहां खेलकूद एक एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था। लेकिन इस नेशनल एजुकेशनल पॉलिसी में उसे शिक्षा का हिस्सा बना दिया गया है। 
-सरकार कुछ भी करे तो कहीं न कहीं से तो विरोध का स्वर उठता ही है। लेकिन मेरे लिए खुशी की बात है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का हिंदुस्तान के हर तबके में पुरजोर स्वागत हुआ है। इसलिए इस काम को करने वाले सभी लोग अभिनंदन के अधिकारी हैं।
 
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-पीएम ने कहा कि ऑफलाइन या ऑनलाइन कोई समस्या नहीं है। माध्यम नहीं मन समस्या है। पढ़ाई के समय दिमाग पढ़ाई में रखने। ऑनलाइन पाने के लिए, ऑफलाइन बनने के लिए। समय के साथ पढ़ाई के माध्यम बदलते हैं। ऑफलाइन में शिक्षा के विकल्प सिमित थे। ऑनलाइन से दुनिया का ज्ञान हासिल किया जा सकता है। ऑनलाइन का सदुपयोग करना चाहिए।
-दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे बल्कि इनरलाइन होंगे। जितना अपने अंदर जाएंगे, आप अपनी ऊर्जा को अनुभव करेंगे। अगर इन चीजों को कर लेते हैं तो मुझे नहीं लगता कि ये सारे संकट आपके लिए कोई कठिनाई पैदा कर सकते हैं।
 
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-अपने इन अनुभवों को, जिस प्रक्रिया से आप गुजरे हैं, उसको आप कतई छोटा मत मानिए। दूसरा आपके मन में जो पैनिक होता है, उसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप किसी दबाव में मत रहिए। जितनी सहज दिनचर्या आपकी रहती है, उसी सहज दिनचर्या में आप अपने आने वाले परीक्षा के समय को भी बिताइए।
-इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं। पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं। जब ये विश्वास पैदा हो जाता है तो आने वाले एक्जाम के लिए ये अनुभव आपकी ताकत बन जाता हैं।
 
-प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि परीक्षा का भय निकाल दें। परीक्षा के आखिरी किनारे पर आकर डर क्यों? परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा। अपने किए पर विश्‍वास करें।
-हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं। इस पड़ाव से पहले भी हम गुजर चुके हैं। पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं। जब ये विश्वास पैदा हो जाता है तो आने वाले एक्जाम के लिए ये अनुभव आपकी ताकत बन जाता हैं।
-पीएम मोदी ने कहा कि ये मेरा बड़ा प्रिय कार्यक्रम है। लेकिन कोरोना के कारण बीच में मैं आप जैसे साथियों से मिल नहीं पाया। मेरे लिए आज का कार्यक्रम विशेष खुशी का है, क्योंकि एक लंबे अंतराल के बाद आप सबसे मिलने का मौका मिल रहा है।
-उन्होंने छात्रों से कहा कि त्योहारों के बीच में exam भी होते हैं। इस वजह से त्योहारों का मजा नहीं ले पाते। लेकिन अगर exam को ही त्योहार बना दें, तो उसमें कईं रंग भर जाते हैं।
-प्रधानमंत्री मोदी परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में पहुंच गए हैं. वह यहां आते ही सबसे पहले बच्चों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
-परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के लिए इस बार 15.7 लाख प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। इनमें 12.1 लाख से अधिक विद्यार्थी, 2.7 लाख अध्यापक और 90 हजार से अधिक अभिभावक शामिल हैं।
-दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे बल्कि इनरलाइन होंगे। जितना अपने अंदर जाएंगे, आप अपनी ऊर्जा को अनुभव करेंगे। अगर इन चीजों को कर लेते हैं तो मुझे नहीं लगता कि ये सारे संकट आपके लिए कोई कठिनाई पैदा कर सकते हैं।

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