नई दिल्ली। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने राष्ट्रीय शिविरों को फिर से शुरू करने को लेकर मंगलवार को खिलाड़ियों, कोचों और अन्य हितधारकों से अपनी राय देने के लिए कहा। राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) और राज्य ओलंपिक संघों को कहा गया है वे हितधारकों जैसे खिलाड़ियों, कोच, सहयोगी स्टाफ, केंद्रीय और राज्य सरकार के मंत्रियों, मैच अधिकारियों और खेल प्रशासकों से इस पर ‘फीडबैक’ लें कि अभ्यास कैसे और कब शुरू किया जाना चाहिए।
देश भर में लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। हितधारकों से एक प्रश्नावली का जवाब देने के लिए कहा जा रहा है। आईओए अध्यक्ष नरिंदर बत्रा की अगुवाई में श्वेत पत्र तैयार करने के लिए इस फीडबैक को एकत्रित और संकलित किया जाएगा। मंगलवार को जारी दस्तावेज में कहा गया है, ‘जब लॉकडाउन शुरू हुआ तब खिलाड़ियों का अभ्यास अपने चरम पर था और खिलाड़ियों को तुरंत अपना अभ्यास रोकना पड़ा। इससे खिलाड़ियों और कोचों के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।’
इसमें कहा गया है, ‘वर्तमान परिदृश्य में हमें पता करना होगा कि आगे बढ़ने का रास्ता क्या है और खिलाड़ी खेल गतिविधियों, अभ्यास और आखिर में प्रतियोगिताओं में कैसे हिस्सा ले सकते हैं।’ खेल मंत्री किरेन रीजीजू भी इस महीने के आखिर में राष्ट्रीय शिविरों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की बात कर चुके हैं।
आईओए ने हालांकि स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्य सरकारों की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों के अनुसार ही खेलों को फिर से शुरू करना होगा। कुल 18 राष्ट्रीय खेल महासंघों और 16 राज्य ओलंपिक संघों को खिलाड़ियों और अन्य हितधारकों के जवाब भेजने के लिए कहा गया है ताकि 20 मई तक श्वेत पत्र का खाका तैयार किया जा सके।
इसके बाद बाकी एनएसएफ और राज्य संघों को 31 मई तक जवाब देने के लिए कहा जाएगा जिससे कि जून तक अंतिम श्वेत पत्र तैयार किया जा सके। दस्तावेज में कहा गया है, ‘आईओए अध्यक्ष, महासचिव और खिलाड़ियों की तैयारी समिति के अध्यक्ष विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करेंगे तथा श्वेत पत्र की तैयारियों पर निगरानी रखने के अलावा यह सुनिश्चित करेंगे कि अभ्यास-प्रतियोगिता कार्यक्रम प्रभावी तरीके से लागू हो। अगर इसमें किसी तरह की कोई बाधा आती है तो वे उसे भी दूर करेंगे।’
खिलाड़ियों और अन्य हितधारकों से सात सवाल पूछे गए हैं जिनमें अभ्यास शुरू करने का सही समय और उसके लिए रणनीति, लॉकडाउन के बाद खेल शुरू होने पर उनमें आने वाले बदलाव आदि शामिल हैं। इन बदलावों में निजी सुरक्षा, स्वच्छता, सामाजिक दूरी और ऐहतियात के तौर पर उठाए जाने वाले कदम शामिल हैं। उनसे यह भी पूछा गया है क्या वे प्रतियोगिताएं शुरू होने पर दर्शकों को स्टेडियमों के अंदर देखना चाहते हैं या नहीं। (भाषा)