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एशियन गेम्स : गरीबी को मात देते हुए रिक्शा चालक की बेटी स्वप्ना बनीं गोल्डन गर्ल

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गुरुवार, 30 अगस्त 2018 (11:06 IST)
गरीबी को हराते हुए भारत की स्वप्ना बर्मन ने एशियन गेम्स में सोना जीतने का सपना पूरा कर लिया। स्वप्ना बर्मन ने बुधवार को महिलाओं की हेप्टाथलोन स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। वह इस स्पर्धा में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट बनीं।
 
 
स्वप्ना की जीत के बाद पश्चिम बंगाल का जलपाईगुड़ी शहर जश्न में डूब गया। बेहद गरीब परिवार से आने वाली रिक्शा चालक की बेटी ने अपने मजबूत इरादों के दम पर स्वर्ण जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया। जैसे ही घर वालों को स्वप्ना को स्वर्ण मिलने की बात पता चली तो उनके घर के बाहर लोगों की भीड़ लग गई। मिठाइयां बंटने लगीं और बधाईयों का दौर शुरु हो गया।
 
दांत दर्द के बावजूद स्वप्ना ने हेप्टाथलन के अंतर्गत सात स्पर्धाओं में कुल 6026 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया। इस दौरान उन्होंने ऊंची कूद (1003 अंक) और भाला फेंक (872 अंक) में पहला तथा गोला फेंक (707 अंक) और लंबी कूद (865 अंक) में दूसरा स्थान हासिल किया था। उनका खराब प्रदर्शन 100 मीटर (981 अंक, पांचवां स्थान) और 200 मीटर (790 अंक, सातवां स्थान) में रहा।
 
स्वप्ना की मां अपनी बेटी के इस ऐतिहासिक प्रर्दन को नहीं देख सकीं क्योंकि उनके घरवालों के मुताबिक उन्होंने अपनी बेटी की सफलता की कामना के लिए खुद को पूरे दिन काली माता के मंदिर में बंद कर लिया था। जब उन्हें बेटी की कामयाबी के बारे में पता चला और बधाईयां मिलनी शुरु हुईं तो मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे और आंखों में अपार खुशी के आंसू थे।
 
स्वप्ना के पिता पंचन बर्मन रिक्शा चलाते हैं। उनकी मां चाय के बगान में मजदूरी करती है। लेकिन बीते कुछ कमय से उनके पिता उम्र के साथ लगी बीमारी के कारण बिस्तर पर रहते हैं। स्वप्ना की मां ने बेहद भावुक आवाज में कहा कि यह उसके लिए आसान नहीं था। हम हमेशा उसकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते थे, लेकिन उसने कभी भी शिकायत नहीं की।
 
एक समय ऐसा भी था कि जब स्वप्ना के पास अच्छे ढ़ंग के जूते भी नहीं थे। उनके दोनों पैरों में छह उंगलियां हैं और पांव की ज्यादा चौड़ाई खेलों में उसकी लैंडिंग को मुश्किल बना देती है। इस वजह से उनके जूते जल्दी फट भी जाते थे। खेल के उपकरण खरीदने में उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
 
पूर्व क्रिकेट राहुल द्रविड़ की गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन ने स्वप्ना की मदद करनी शुरू की। जिसकी वजह से वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर पा रही हैं। स्वप्ना को जो भी प्राइजमनी मिलती है वो इसके इस्तेमाल पिता की देखरेख और घर के रखरखाव के लिए करती हैं।

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