Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

शरद पूर्णिमा का ब्लू मून, जानिए क्या है इस चंद्रमा का विज्ञान

Webdunia
मंगलवार, 19 अक्टूबर 2021 (05:45 IST)
वर्ष में 24 पूर्णिमाएं होती हैं जिनमें से कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा का महत्व ज्यादा है। इसमें भी शरद पूर्णिमा का चंद्रमा कुछ अलग ही तरह का दिखाई देता है। यह पूर्णिमा अश्विन मास में आती है। आओ जानते हैं कि क्या है शरद पूर्णिमा का विज्ञान।
 
 
1. शरद पूर्णिमा का नीला चांद : शरद पूर्णिमा का चांद नीला दिखाई देता है। पश्‍चिम जगत में इसे ब्लू मून कहा जाता है। हालांकि हर शरद पूर्णिमा पर वैसा ब्लू मून नहीं दिखाई देता है जैसा कि 2018 में दिखाई दिया था।
 
2. वर्ष में एक बार ही दिखता है चांद नीला : कहते हैं कि नीला चांद वर्ष में एक बार ही दिखाई देता है। परंतु विज्ञान की सृष्‍टि में नीले चांद के अलग मायने हैं। हालांकि शरद पूर्णिमा पर भी चांद नीला ही दिखाई देता है। एक शताब्दी में लगभग 41 बार ब्लू मून दिखता है जबकि हर तीन साल में 13 बार फूल मून होता है। 
3. ब्लू मून की घटना : वर्ष 2018 में दो बार ऐसा अवसर आया जब ब्लू मून की घटना हुई। उस दौरान पहला ब्लू मून 31 जनवरी जबकि दूसरा 31 मार्च को हुआ। इसी साल शनिवार शरद पूर्णिमा की रात को आसमान में ब्लू मून अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप समेत एशिया के कई देशों में दिखाई देगा। इस रात को चांद आम दिनों की अपेक्षा आकार में 14 फीसद बड़ा और चमकदार दिखाई देगा। इसके बाद अगला ब्लू मून 31 अगस्त 2023 को दिखाई देगा। इसके बाद अगला 'ब्लू मून' साल 2028 और 2037 में देखने को मिलेगा। 
 
4. चंद्र मास : उल्लेखनीय है चंद्र मास की अवधि 29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 38 सेकेंड की होती है, इसलिए एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा होने के लिए पहली पूर्णिमा उस महीने की पहली या दूसरी तारीख को होनी चाहिए।
 
5. सोलह कलाओं से पूर्ण चांद : पौराणिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चांद पूरी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। ये किरणें सेहत के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है।
 
6. चन्द्रमा का प्रभाव : वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है।
 
7. ज्वार-भाटा : पूर्णिमा के दिन चांद का धरती के जल से संबंध बनती है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं।
 
8. दिमाग पर असर : पूर्णिमा की रात मन ज्यादा बेचैन रहता है और नींद कम ही आती है। कमजोर दिमाग वाले लोगों के मन में आत्महत्या या हत्या करने के विचार बढ़ जाते हैं।
 
9. चय-उपचय की क्रिया : जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। ऐसे व्यक्‍तियों पर चन्द्रमा का प्रभाव गलत दिशा लेने लगता है। इस कारण पूर्णिमा व्रत का पालन रखने की सलाह दी जाती है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Pushya Nakshatra 2024: पुष्य नक्षत्र में क्या खरीदना चाहिए?

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

झाड़ू से क्या है माता लक्ष्मी का कनेक्शन, सही तरीके से झाड़ू ना लगाने से आता है आर्थिक संकट

30 को या 31 अक्टूबर 2024 को, कब है नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का पर्व?

गुरु पुष्य योग में क्यों की जाती है खरीदारी, जानें महत्व और खास बातें

सभी देखें

धर्म संसार

25 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 अक्टूबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Dhanteras Rashifal: धनतेरस पर बन रहे 5 दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

Rama ekadashi date time: रमा एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व और कथा

Diwali Recipes : दिवाली स्नैक्स (दीपावली की 3 चटपटी नमकीन रेसिपी)

આગળનો લેખ