Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

बुधवार व्रत कैसे करें, जानिए पूजा विधि, कथा-आरती एवं फल

Webdunia
पौराणिक मान्यता के अनुसार बुधवार व्रत की शुरुआत विशाखा नक्षत्रयुक्त बुधवार से करना चाहिए। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा जीवन में सुख-शांति मिलती है और घर धन-धान्य से भरा रहता हैं।
 
 
कैसे करें बुधवार व्रत : जानें पूजन विधि
 
- इस दिन प्रातः उठकर संपूर्ण घर की सफाई करें।
 
तत्पश्चात स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
 
इसके बाद पवित्र जल का घर में छिड़काव करें।
 
घर के ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान बुध या शंकर भगवान की मूर्ति अथवा चित्र किसी कांस्य पात्र में स्थापित करें।
 
तत्पश्चात धूप, बेल-पत्र, अक्षत और घी का दीपक जलाकर पूजा करें।
 
इसके बाद निम्न मंत्र से बुध की प्रार्थना करें-
 
बुध त्वं बुद्धिजनको बोधदः सर्वदा नृणाम्‌।
तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नमः॥
 
बुधवार की व्रतकथा सुनकर आरती करें।
 
इसके पश्चात गुड़, भात और दही का प्रसाद बांटकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
 

बुधवार व्रत के दिन क्या करें
 
इस दिन भगवान को सफेद फूल तथा हरे रंग की वस्तुएं चढ़ाएं।
 
यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान दें।
 
व्रती एक समय ही भोजन करें।
 
किसी भी रूप में व्रतकथा को बीच में छोड़कर, प्रसाद ग्रहण किए बिना कहीं नहीं जाना चाहिए।


**** 
बुधवार व्रत की पौराणिक कथा
 
समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत धनवान था। मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर लड़की संगीता से हुआ था। एक बार मधुसूदन अपनी पत्नी को लेने बुधवार के दिन बलरामपुर गया।
 
मधुसूदन ने पत्नी के माता-पिता से संगीता को विदा कराने के लिए कहा। माता-पिता बोले- 'बेटा, आज बुधवार है। बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते।' लेकिन मधुसूदन नहीं माना। उसने ऐसी शुभ-अशुभ की बातों को न मानने की बात कही।
 
दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की। दो कोस की यात्रा के बाद उसकी गाड़ी का एक पहिया टूट गया। वहां से दोनों ने पैदल ही यात्रा शुरू की। रास्ते में संगीता को प्यास लगी। मधुसूदन उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने चला गया।
 
थोड़ी देर बाद जब मधुसूदन कहीं से जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था। संगीता भी मधुसूदन को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई।
 
मधुसूदन ने उस व्यक्ति से पूछा 'तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो?' 
 
मधुसूदन की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- 'अरे भाई, यह मेरी पत्नी संगीता है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं। लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो?'
 
मधुसूदन ने कहा 'तुम जरूर कोई चोर या ठग हो। यह मेरी पत्नी संगीता है। मैं इसे पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने गया था।' इस पर उस व्यक्ति ने कहा- 'अरे भाई! झूठ तो तुम बोल रहे हो।
 
संगीता को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था। मैंने तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया है। अब तुम चुपचाप यहां से चलते बनो। नहीं तो किसी सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकड़वा दूंगा।'
 
दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे। उन्हें लड़ते देख बहुत से लोग वहां एकत्र हो गए। नगर के कुछ सिपाही भी वहां आ गए। सिपाही उन दोनों को पकड़कर राजा के पास ले गए। सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया। संगीता भी उन दोनों में से अपने वास्तविक पति को नहीं पहचान पा रही थी।
 
राजा ने दोनों को कारागार में डाल देने के लिए कहा। राजा के फैसले पर असली मधुसूदन भयभीत हो उठा। तभी आकाशवाणी हुई- 'मधुसूदन! तूने संगीता के माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी ससुराल से प्रस्थान किया। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।'
 
मधुसूदन ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की कि 'हे भगवान बुधदेव मुझे क्षमा कर दीजिए। मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई। भविष्य में अब कभी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूंगा और सदैव बुधवार को आपका व्रत किया करूंगा।'
 
मधुसूदन के प्रार्थना करने से भगवान बुधदेव ने उसे क्षमा कर दिया। तभी दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से गायब हो गया। राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देख हैरान हो गए। भगवान बुधदेव की इस अनुकम्पा से राजा ने मधुसूदन और उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया।
 
कुछ दूर चलने पर रास्ते में उन्हें बैलगाड़ी मिल गई। बैलगाड़ी का टूटा हुआ पहिया भी जुड़ा हुआ था। दोनों उसमें बैठकर समतापुर की ओर चल दिए। मधुसूदन और उसकी पत्नी संगीता दोनों बुधवार को व्रत करते हुए आनंदपूर्वक जीवन-यापन करने लगे। इस तरह भगवान बुधदेव की कृपा से उनके यहां खुशियां बरसने लगीं। इस तरह जो स्त्री-पुरुष विधिवत बुधवार का व्रत करके व्रतकथा सुनते हैं, भगवान बुधदेव उनके सभी कष्ट दूर करते है। 
 

 
बुधवार व्रत का फल
 
बुधवार का नियमित व्रत करने से सर्व-सुखों की प्राप्ति होती है।
 
जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता।
 
इससे अरिष्ट ग्रहों की शांति होती है।
 
इस व्रत को करने से बुद्धि बढ़ती है।
 

 
बुधवार व्रत की आरती
 
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्योछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भरि पीजै॥
 
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥
 
फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥
कंचन थार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
 
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी। आरती करें सकल नर नारी॥
नंदनंदन बृजभान किशोरी। परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥
 

ALSO READ: बुधवार व्रत : बुध ग्रह के शुभ फल पाना है तो जानिए 7 खास बातें

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dhanteras Rashifal: धनतेरस पर बन रहे 5 दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

Shopping for Diwali: दिवाली के लिए क्या क्या खरीदारी करें?

बहुत रोचक है आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति की कथा, जानिए कौन हैं भगवान धन्वंतरि?

दिवाली की रात में करें ये 7 अचूक उपाय तो हो जाएंगे मालामाल, मिलेगी माता लक्ष्मी की कृपा

Dhanteras 2024: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर कितने, कहां और किस दिशा में जलाएं दीपक?

सभी देखें

धर्म संसार

27 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

27 अक्टूबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Kali chaudas 2024: नरक चतुर्दशी को क्यों कहते हैं भूत चौदस, किसकी होती है पूजा?

Bach Baras 2024: गोवत्स द्वादशी क्यों मनाते हैं, क्या कथा है?

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव कैसे मनाया जाता है?

આગળનો લેખ
Show comments