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फिरोज दाजी ने इंदौर में किया 100वीं बार रक्तदान

सीमान्त सुवीर
इंदौर शहर का सबसे पुराना और सबसे प्रतिष्ठित माने जाने वाला 'बाल विनय मंदिर' शुक्रवार की सुबह स्कूली बच्चों से आबाद ही नहीं था, बल्कि वहां उन लोगों की भीड़ जमा थी, जो स्वैच्छिक रूप से रक्तदान करने के लिए जमा हुए थे। प्रसंग था फिरोज दाजी द्वारा 100वीं मर्तबा रक्तदान करने का। चूंकि फिरोज की स्कूली शिक्षा बाल विनय मंदिर से ही हुई है, लिहाजा बाल विनय फाउंडेशन और हरिओम योग केंद्र ने एमवाय अस्पताल के ब्लड बैंक की मदद से इस शिविर का आयोजन किया था।
 
 
100 से ज्यादा लोगों ने किया रक्तदान : जीएसआईटीएस के ठीक सामने स्थित इस स्कूल के मेनगेट पर ही ब्लड बैंक की सुविधाओं से लैस बस खड़ी हुई थी, जो हर आने जाने वाले लोगों को आकर्षित कर रही थी। सोशल मीडिया के जरिए बाल विनय मंदिर के पूर्व छात्र 21 सितंबर को आयोजित होने वाले रक्तदान करने के लिए एक-दूसरे को प्रेरित कर रहे थे। सभी की मंशा यही थी कि फिरोज दाजी के 100वें रक्तदान करने की मिसाल को यादगार बनाया जाए। 103 लोगों ने रक्तदान कर उनकी मिसाल को यादगार भी बनाया।
 
स्वप्रेरित होकर लोगों ने किया महादान : 'वेबदुनिया' प्रतिनिधि ने यह भी देखा कि न केवल बाल विनय मंदिर के पूर्व छात्र-छात्राओं ने आकर रक्तदान किया, बल्कि स्वैच्छिक रक्तदान की भावना सड़क से गुजर रहे लोगों को भी प्रेरित कर रही थी। कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने ब्लड बैंक की बस देखकर अपने वाहन रोके और रक्तदान किया।
 
फिरोज दाजी के रक्तदान की रोचक दास्तां : एक विशेष मुलाकात में इंदौर के सांसद रहे कॉमरेड होमी दाजी के पोते 51 वर्षीय फिरोज दाजी ने बताया कि मैंने पहली बार रक्तदान 1988-89 में किया था। तब मैं पलासिया इलाके में रहता था और घर के पास ही अंतरराष्ट्रीय अंपायर नरेन्द्र सेन रहा करते थे। उनके एक रिश्तेदार बंगाल से आए हुए थे। तबीयत खराब होने के कारण वे एमवाय अस्पताल में भर्ती थे। तब उन्हें खून देकर मैंने उनकी जान बचाई थी।
 
रक्तदान से मिलती है आत्मसंतुष्टि : फिरोज के मुताबिक पहली बार रक्तदान करने के बाद मुझे जो खुशी हुई, वह मैं बयां नहीं कर सकता। आज मैंने 100वीं बार रक्तदान किया। मुझे हर बार रक्तदान के बाद अच्छा लगता है, एक आत्मसंतुष्टि मिलती है कि अपन भी समाज को कुछ दे रहे हैं। समाज से हमने हमेशा पाया ही है। हमारे भी कुछ नागरिक कर्तव्य हैं। हर व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर सामाजिक कार्य करता है।
पत्नी और बेटा भी महादान में शरीक : फिरोज ने बताया कि मेरी पत्नी वंदना इंदौर के सत्यसांईं स्कूल में वाइस प्रिंसीपल हैं और वे भी रक्तदान करती हैं। मेरे 100वें रक्तदान पर उन्होंने 6ठी बार और बड़े बेटे अनोश ने भी 6ठी मर्तबा रक्तदान किया। मुझे दिली खुशी है कि मेरे साथ मेरा परिवार भी इस समाजसेवा में हर कदम पर मेरा उत्साह बढ़ा रहा है।
 
भविष्य निधि की भारतीय टीम में खेल चुके हैं फिरोज : फिरोज ने स्कूल स्तर पर क्रिकेट खेला और फिर ओपन क्रिकेट के बाद इंदौर की भविष्य निधि टीम का प्रतिनिधित्व किया। वे भारतीय भविष्य निधि टीम में भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं। पिछले 3 साल से ही उन्होंने खेलना छोड़ा है लेकिन अपनी फिटनेस को बरकरार रखने के लिए व्यायाम करना नहीं छोड़ा।
 
पहले सिद्धांत की राजनीति, अब मौके की राजनीति : फिरोज दाजी के दादाजी कॉमरेड होमी दाजी इंदौर के सांसद रह चुके हैं। उनकी ईमानदारी की मिसाल आज तक दी जाती है। फिरोज ने कहा कि पहले सिद्धांतों की राजनीति होती थी लेकिन अब मौके की राजनीति का चलन हो गया है। इसके बाद भी इंदौर के कई राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने शहर के लिए अच्छा काम किया है।

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