Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

प्रवासी कविता : मुसाफिरखाना

Webdunia
-हरनारायण शुक्ला
 
आना-जाना लगा हुआ है, यह है मुसाफिरखाना,
थोड़ी देर यहां रुकना है, फिर है सबको जाना।
 
गठरी रखकर सीधा कर लूं, थोड़ा अपना पांव,
सात कोस हूं चलकर आया, छूटा मेरा गांव।
 
मेरे जैसे कई मुसाफिर आते हैं, फिर जाते हैं,
स्थायी रहने नहीं, बस थोड़ा रहकर जाते हैं।
 
तरह-तरह के लोग यहां हैं, कई तरह के वेश,
यहां से जब मैं कूच करूंगा, रहेगा बस अवशेष।
 
चलते बनूं मैं अपना रस्ता, छोड़ मुसाफिरखाना,
लंबा सफर है मेरा यह, देखें कब होगा फिर आना।
 

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

दीपावली पर कैसे पाएं परफेक्ट हेयरस्टाइल? जानें आसान और स्टाइलिश हेयर टिप्स

Diwali Skincare : त्योहार के दौरान कैसे रखें अपनी त्वचा का ख्याल

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

धनतेरस पर कैसे पाएं ट्रेडिशनल और स्टाइलिश लुक? जानें महिलाओं के लिए खास फैशन टिप्स

આગળનો લેખ
Show comments