Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

प्रजातंत्र के अंदर-बाहर का फर्क

मनोज श्रीवास्तव
चुनावी वक्त में चुनाव कौन जीतेगा, इस बात से ज्यादा जोर आजकल इस बात पर होने लगा है कि कौन हारेगा। यह भाव दर्शाता है कि प्रजातंत्र राह भटकने लगा है। उसके अलावा चुनाव पूर्व-पश्चात के गठबंधनों पर भी पक्ष-विपक्ष में बहुत नूराकुश्ती मचती है।


दूसरी ओर इन सब बातों से उतपन्न माहौल में सोशल नेटवर्क चिंगारी की तरह प्रयोग किया जाने लगा है। इधर विचार-वोट की गोलबंदी में दिन-रात फिक्रमंद सोशल नेटवर्क के वीर हरहाल में अपनी बात थोपने की होड़ में बेतहाशा बेचैन होकर भाषा का संयम भी खो-देते हैं और फिर इस चक्रव्यूह में उलझते उन्हें खुद भान नहीं रहता कि वे जिन दोहरे मापदण्डों के विरोधी थे उन दोहरे मापदण्डों के पक्ष में ही तर्क देने लगते हैं। और बस यहीं आकर धूर्त-चालाक लोग उन्हें सही राह दिखाने की जगह प्रोत्साहन देने लगते हैं ताकि उनकी कुटिलता-धूर्तता अबाधित चलती रहे।
 
 इस द्वंद्व में अब सोशल मीडिया सहभागी बना हुआ है। सोशल मीडिया की सहभागिता से तापमान गर्म बना रहता है। कभी-कभी यह लड़ाई आभासी संसार से बाहर निकलकर वास्तविक रूप भी ले-लेती है। कहीं तो इस विरोध-पक्ष के चक्कर में आपसी दीवारें खड़ी हो गई हैं। फि‍क्र की बात यह है की यह कटुता, वैमनस्यता महज शाब्दिक न होकर समाज-देश को प्रभावित कर रही है। और इससे बढ़कर बात यह है कि यह सबकुछ उनके लिए किया जाता है जो उन्हें जानते भी नहीं । काल्पनिक लाभ या किसी की निगाहों में हीरो बनने की चाह में भी आरोप-प्रत्यारोप या ट्रोल किए जाते हैं। इसमें आमजन चाहे आपस में भिड़े रहते हैं पर राजनैतिक दलों पर इसका कोई खास असर नहीं दिखता। इसलिए इस पर बहुत ज्यादा चिंतित होने की जगह यह विचारिए की राजनितिक दलों के शीर्ष नेतृत्व आपस में इतनी कटुता नहीं रखते जितनी की हम समझ लेते हैं। इस बात के कई उदाहरण मिल जाएंग, फिलहाल एक बानगी देखिए - 
 
2009 में फि‍रोजाबाद की सीट पर हुए उपचुनाव में डिंपल यादव जी पराजित हो गई। उनकी पराजय से उनके परिवार और समर्थक मायूस हुए पर अन्य सभी दल इतने ज्यादा व्यथित हुए की अगले उपचुनाव में उन्हें निर्विरोध संसद पंहुचा दिया, वह भी इस इतिहास के साथ कि यूपी के अबतक कुल 4 निर्विरोध सांसद में प्रथम निर्विरोध विजित महिला सांसद बनाकर! ध्यान रहे पुरे देश में आजतक कुल 44 सांसद ही निर्विरोध जीते हैं। 
 
इसलिए जरूरत है कि हम जागे और सही-गलत का फैसला करने के पश्चात ही विरोध-पक्ष में आवाज उठाएं। आवाज उठाना हक है पर ध्यान रहे कि मूर्खता में न फंसे न ही उल्लू बनें, बल्कि जो उल्लू बनाना चाहते हैं उन्हें समय-समय पर आइना दिखाते रहें, वो भी बिना भेदभाव के। चाहे अपने हों या पराए पर उनकी नूराकुश्ती में नहीं फंसना, यह सीख अपना ली-जाए तो हमारा प्रजातंत्र मजबूत बना रहेगा और वे लोग जो इस प्रजातंत्र को खिलवाड़ की तरह प्रयोग करना चाहते हैं उनके मंसूबे मन में ही धरे रह जाएंगे। 
सभी देखें

जरुर पढ़ें

धनतेरस सजावट : ऐसे करें घर को इन खूबसूरत चीजों से डेकोरेट, आयेगी फेस्टिवल वाली फीलिंग

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

फ्यूजन फैशन : इस दिवाली साड़ी से बने लहंगे के साथ करें अपने आउटफिट की खास तैयारियां

अपने बेटे को दीजिए ऐसे समृद्धशाली नाम जिनमें समाई है लक्ष्मी जी की कृपा

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

सभी देखें

नवीनतम

इस दीपावली अपने आउटफिट को इन Bangles Set बनाएं खास, देखें बेस्ट स्टाइलिंग आइडियाज

गणेश शंकर विद्यार्थी : कलम से क्रांति लाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी की जयंती पर विशेष श्रद्धांजलि

मां लक्ष्मी के ये नाम बेटी के लिए हैं बहुत कल्याणकारी, सदा रहेगी मां की कृपा

दिवाली के शुभ अवसर पर कैसे बनाएं नमकीन हेल्दी पोहा चिवड़ा, नोट करें रेसिपी

दीपावली पार्टी में दमकेंगी आपकी आंखें, इस फेस्टिव सीजन ट्राई करें ये आई मेकअप टिप्स

આગળનો લેખ
Show comments