Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

मध्यप्रदेश के चुनावी रण में अकेले पड़ते शिवराज सिंह...

विशेष प्रतिनिधि
भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी रण का शंखनाद हो चुका है। राष्टीय चुनाव आयोग की टीम के भोपाल दौरे को बाद अब राज्य में चुनावी काउंटडाउन भी शुरू हो गया। हालांकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पूरी ताकत से अपना चुनावी अभियान में जुटे हुए हैं, लेकिन चुनाव से ठीक पहले जहां कांग्रेस ने कमलनाथ को अध्यक्ष बनाकर राज्य में संगठन को नई ऊर्जा देने की कोशिश की है तो दूसरी ओर राज्य में डेढ़ दशक से सत्ता में काबिज भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार भी मुख्यमंत्री शिवराज के चेहरे पर ही भरोसा जताया है। 
 
भाजपा मानती है कि राज्य में शिवराज के अलावा कोई दूसरा ऐसा चेहरा नहीं जो चौथी बार राज्य में बीजेपी की सरकार बना सके, यानी शिवराज ही चुनाव में भाजपा के ट्रंप कार्ड हैं। मप्र के 'मामा' शिवराज का चेहरा ही भाजपा की जीत की गारंटी बना हुआ है। 
 
इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए भाजपा चुनाव से पहले पूरे राज्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन-आशीर्वाद यात्रा निकाल रही है। इस यात्रा के जरिए सीएम शिवराज राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों पर पहुंचकर लोगों से सीधा संवाद कर रहे हैं। इस यात्रा के लिए मुख्यमंत्री लगातार रोड शो और सभाएं कर रहे हैं।  
 
यात्रा के दौरान अब तक कई ऐसे मौके आए हैं जब मुख्यमंत्री ने आधी रात के बाद भी जनसभाओं को संबोधित किया है। बारिश या आधी रात में हो रही सभाओं में उमड़ रही भीड़ के फोटो-वीडियो भाजपा के सोशल मीडिया सेल जमकर वायरल कर रहे हैं। इस अभियान को एक ओर भाजपा अपने नेता की उपलब्धि बता रही है वहीं सियासी गलियारों में इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि कहीं न कहीं चुनाव से ठीक पहले शिवराज अकेले पड़ते जा रहे हैं। 
 
शिवराज को पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं का जो सहयोग मिलना चाहिए वो नहीं मिलता दिखाई दे रहा है। उल्लेखनीय है कि भाजपा के आला नेताओं ने जन आशीर्वाद यात्रा शुरू होने से पहले कहा था कि यात्रा का समापन 25 सितंबर को भोपाल में होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र और अमित शाह भी शामिल होंगे, लेकिन अब भाजपा का कहना है कि यात्रा चुनाव तक चलेगी यानी मुख्यमंत्री की यात्रा जारी रहेगी। 
 
लंबे समय से सत्ता में रहने से पार्टी को जो एंटी-इनकंमबेंसी का सामना करना पड़ रहा है उसको फिलहाल अकेले शिवराज अपनी सभाओं के जरिए दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। 
इसके अलावा 25 सितंबर को भोपाल में होने वाले कार्यकर्ता महाकुंभ में भी नरेंद्र मोदी के शामिल होने पर भी संशय खड़ा हो गया है। मतलब, एक बार फिर मप्र में भाजपा शिवराज के भरोसे है। इतना ही नहीं दिल्ली में हुई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के फोटो सेशन में शिवराज के न होने पर कांग्रेस ने भी चुटकी ली है। 
 
इस समय कांग्रेस का चुनाव-प्रचार जोरों पर है, कांग्रेस का हर बड़ा नेता पूरे राज्य में अपने दौरे कर रहा है। कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही दिग्विजयसिंह, विवेक तनखा, जीतू पटवारी अपने अपने स्तर पर यात्रा निकाल कर कार्यकर्ताओं में नया जोश भर रहे हैं। वहीं भाजपा की ओर से फिलहाल शिवराज सिंह अकेले ही मोर्चा संभाले हुए हैं।
 

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

नवीनतम

Karhal by election: मुलायम परिवार के 2 सदस्यों के बीच जोर आजमाइश, BJP ने भी घोषित किए प्रत्याशी

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उत्तराखंड स्थापना दिवस इस बार ‘रजतोत्सव’ के रूप में मनेगा

UP : इलाज न मिलने से बच्ची की मौत, परिजन का आरोप- क्रिकेट खेलते रहे डॉक्टर

આગળનો લેખ
Show comments