Bagalamukhi Jayanti 2024: बगलामुखी जयंती प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह जयंती 15 मई को रहेगी। कुछ लोग 14 मई को मनाएंगे तो कुछ लोग उनयातिथि के अनुसार 14 मई को यह जयंती मनाएंगे। यदि आप बगलामुखी देवी की की साधना करना चाहते हैं तो जानिए कि कैसे करें उनकी सधना।
साधना के नियम : मां बगलामुखी को तांत्रिकों की देवी माना हैं, परंतु सामान्यजन भी इनकी पूजा अर्चना कर सकते हैं। इस महाविद्या की उपासना या साधना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। बगलामुखी की साधना में पवित्रता, नियम और शौचादि का ध्यान रखना जरूरी है। इस साधना को किसी जानकार से पूछकर या जानकर ही करना चाहिए। कुछ लोग आकर्षण, मारण तथा स्तंभन कर्म आदि तामसी प्रवृति से संबंधित कर्म भी करते हैं जोकि उचित नहीं माने जाते हैं।
बगलामुखी का मंत्र :
1. हल्दी या पीले कांच की माला से आठ माला 'ऊँ ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम:'
2. दूसरा मंत्र- 'ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा।'
बगलामुखी पूजा का विधान :
1. जातक सुबह नित्य कर्म और स्नान करने के बाद पूर्वमुखी होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
2. माता को पीले आसान पर विराजमान करके, पूजा सामग्री एकत्रित करें।
3. सामान्यजन इस दिन उपवास रखकर उन्हें पीले रंग के फूल, पीले रंग का चन्दन और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करते हैं।
4. माता के समक्ष धूप, दीप और अगरबत्ती को प्रज्वलित करें।
5. पूजा के बाद मां बगलामुखी की आरती उतारें और उनकी आरती करें।
6. आरती के बाद चालीसा पढ़ें। शाम के समय मां मां बगलामुखी की कथा का पाठ करें।
7. हल्दी की माला से पूजा और जाप करने से जातक की सभी बाधाओं और संकटों का नाश होता है और इसके साथ ही शत्रु पराजित होते हैं।
8. मां बगलामुखी जयंती पर व्रत करने वाले जातक शाम के समय फल खा सकते हैं।
उपासना का लाभ:-
1. देवी का साधक भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त कर लेते हैं।
2. देवी भक्तों की वाणी को दिव्यता का आशीष दे सकती हैं।
3. देवी वचन या बोल-चाल से गलतियों तथा अशुद्धियों को निकाल कर सही करती हैं।
4. माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है।
5. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है।
6. शांति कर्म में, धन-धान्य के लिए, पौष्टिक कर्म में, वाद-विवाद में विजय प्राप्त करने हेतु देवी उपासना व देवी की शक्तियों का प्रयोग किया जाता हैं।