Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

गुप्त नवरात्रि में करें मां बगलामुखी की इस तरह से साधना, जानें गुप्त मंत्र

बगलामुखी साधना विधि

baglamukhi sadhna vidhi

WD Feature Desk

Gupt Navratri 2024: 10 फरवरी 2024 शनिवार से माघ माह की नवरात्रि प्रारंभ हो गई है जिसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या देवियों में से किसी एक महाविद्या देवी की पूजा करते हैं। यदि आप मां बगलामुखी की पूजा या साधना करना चाहते हैं तो जानिए यहां पर महत्वपूर्ण जानकारी। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, कोर्ट कचहरी में जीतने, वाणी को प्रभावशाली बनाने और बच्चों की रक्षा के लिए माता की पूजा और साधना की जाती है।
मां बगलामुखी कौन हैं?
10 महाविद्याओं में से एक 8वीं महाविद्या बगलामुखी है। बगलामुखी देवी का प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना जाता है। कहते हैं कि हल्दी रंग के जल से इनका प्रकाट्य हुआ था। इसी कारण माता को पीतांबरा कहते हैं। मुकदमे आदि में इनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला माना जाता है। इनकी आराधना करने से साधक को विजय प्राप्त होती है। शुत्र पूरी तरह पराजित हो जाते हैं।
 
पूजा और साधना का फल : माता बगलामुखी की साधना युद्ध में विजय होने और शत्रुओं के नाश के लिए की जाती है। इनकी साधना शत्रु भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि के लिए की जाती है। मुकदमे आदि में इनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला माना जाता है। इनकी आराधना करने से साधक को विजय प्राप्त होती है। शुत्र पूरी तरह पराजित हो जाते हैं।
 
माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। शांति कर्म में, धन-धान्य के लिए, पौष्टिक कर्म में, वाद-विवाद में विजय प्राप्त करने हेतु देवी उपासना व देवी की शक्तियों का प्रयोग किया जाता हैं। देवी का साधक भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त कर लेते हैं। वे चाहें तो शत्रु की जिव्हा ले सकती हैं और भक्तों की वाणी को दिव्यता का आशीष दे सकती हैं। देवी वचन या बोल-चाल से गलतियों तथा अशुद्धियों को निकाल कर सही करती हैं।
बगलामुखी मंत्र:- Bagalamukhi mantra
 
1. बगलामुखी मंत्र- ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
 
2. भयनाशक मंत्र- ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हर: 
 
3. शत्रु नाशक मंत्र- ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
 
4. जादू-टोना नाशक मंत्र- ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधां नाशय नाशय
 
5. छोटे बच्चों का रक्षा मं‍त्र-ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष। 
webdunia
कैसे करं बगलामुखी माता की साधना?
  • जातक सुबह नित्य कर्म और स्नान करने के बाद पूर्वमुखी होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  • माता को पीले आसान पर विराजमान करके, पूजा सामग्री एकत्रित करें।
  • सामान्यजन इस दिन उपवास रखकर उन्हें पीले रंग के फूल, पीले रंग का चन्दन और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करते हैं।
  • माता के समक्ष धूप, दीप और अगरबत्ती को प्रज्वलित करें।
  • पूजा के बाद मां बगलामुखी की आरती उतारें और उनकी आरती करें।
  • आरती के बाद चालीसा पढ़ें। शाम के समय मां मां बगलामुखी की कथा का पाठ करें।
  • हल्दी की माला से पूजा और जाप करने से जातक की सभी बाधाओं और संकटों का नाश होता है और इसके साथ ही शत्रु पराजित होते हैं।
  • मां बगलामुखी जयंती पर व्रत करने वाले जातक शाम के समय फल खा सकते हैं।
  • हल्दी या पीले कांच की माला से आठ माला 'ऊँ ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम:' 
  • दूसरा मंत्र- 'ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा।' मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढ़ाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है।
  • बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है। जाप के नियम किसी जानकार से पूछें।
ALSO READ: माघ माह की गुप्त नवरात्रि कब से हो रही है प्रारंभ, जानें महत्व और साधना के लिए मंत्र
देवी की उपासन की खास बातें:
  • मां बगलामुखी को तांत्रिकों की देवी माना हैं, परंतु सामान्यजन भी इनकी पूजा अर्चना कर सकते हैं। 
  • इस महाविद्या की उपासना या साधना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है।
  • बगलामुखी की साधना में पवित्रता, नियम और शौचादि का ध्यान रखना जरूरी है। 
  • इस साधना को किसी जानकार से पूछकर या जानकर ही करना चाहिए।
  • कुछ लोग आकर्षण, मारण तथा स्तंभन कर्म आदि तामसी प्रवृति से संबंधित कर्म भी किए जाते हैं, लेकिन इनमें सावधानी नहीं रखी गई तो हानि होती है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

भीष्म अष्टमी के दिन ही भीष्म पितामह ने त्याग दिया था शरीर, जानें इस दिन का महत्व