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हम आखरी पीढ़ी के वो लोग हैं : मजेदार हास्य व्यंग्य

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हम वो आखरी लोग हैं ?
जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।
 
 हम वो आखरी लोग हैं ?
जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया है!
 
हम वो आखरी लोग हैं 
जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं। 
 
हम निश्चित ही वो लोग हैं
जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम पूरी शिद्दत से सुने हैं।
 
हम वो आखरी लोग हैं 
जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे।
उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे।
एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था। 
सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे।
वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं। 
डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।
 
हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं 
जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए। 
अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं। 
और 
हम वो खुशनसीब लोग हैं 
जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!
 
और हम इस दुनिया के वो लोग भी हैं जिन्होंने एक ऐसा "अविश्वसनीय सा"  लगने वाला  नजारा देखा है।
 
आज के इस करोना काल में परिवारिक रिश्तेदारों (बहुत से पति-पत्नी , बाप - बेटा ,भाई - बहन आदि ) को एक दूसरे को छूने से डरते हुए भी देखा है।
 
पारिवारिक रिश्तेदारों की तो बात ही क्या करे खुद आदमी को अपने ही हाथ से अपनी ही नाक और मुंह को छूने से डरते हुए भी देखा है।
 
हम आज के भारत की एकमात्र वह पीढी हैं जिसने अपने " माँ-बाप "की बात भी मानी और " बच्चों " की भी मान रहे है।  
 
 
और सबसे खास
शादी में (buffet) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था  जैसे....
 
.
*सब्जी देने वाले को गाइड करना, हिला के दे या तरी तरी देना!
.
 उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और गुलाब जामुन, काजू कतली लेना
.
पूरी छाँट छाँट के और गरम गरम लेना ! पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ गया, अपने इधर क्या बाकी है और जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना
.
पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूरी रखवाना !
.
रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते का दोना पीना ।
.
पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी उसके हिसाब से बैठने की पोजीशन बनाना।
.
और आखिर में पानी वाले को खोजना।
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