Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

क्‍या कोरोना से ठीक हुए लोगों को ‘मॉडर्ना या फाइजर’ वैक्सीन का एक ‘डोज काफी’ है? क्‍या कहती है रिसर्च?

Webdunia
मंगलवार, 29 जून 2021 (16:12 IST)
एक नई रिसर्च सामने आई है, इसमें शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं, उनको वैक्सीन के सिर्फ एक डोज की जरूरत हो सकती है।

रिसर्च के मुताबिक, दूसरे डोज ने कोरोना वायरस के खिलाफ अतिरिक्त इम्यूनिटी पैदा नहीं की। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स के शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग कोरोना वायरस से पूर्व में संक्रमित हो चुके थे, उनको दो डोज वाली वैक्सीन के मात्र एक डोज से कोविड-19 के खिलाफ पर्याप्त इम्यून रिस्पॉन्स हासिल हुआ।


उन्होंने ये भी पता लगाया कि दूसरे डोज से कोरोना वायरस के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा नहीं मिली। रिसर्च के लिए टीम ने पूर्व में कोविड-19 से संक्रमित 36 लोगों को शामिल किया और 26 लोगों में वायरस की हिस्‍ट्री नहीं थी। हर प्रतिभागियों को या तो फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्ना की कोविड-19 वैक्सीन का एक डोज लगाया गया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन 26 लोगों में कोरोना की हिस्ट्री नहीं थी, उन सभी में एंटीबॉडी लेवल पहले डोज के बाद हल्के संक्रमण वाले के बराबर विकसित हुआ। लेकिन जो लोग कोविड-19 को मात दे चुके थे, उन सभी 36 लोगों में एंटीबॉडी लेवल मात्र एक डोज से बुरी तरह संक्रमित मरीजों के समान पैदा हुआ। उससे ज्यादा दिलचस्प घटना ये हुई कि दूसरा डोज लगवाने के बाद एंटीबॉडी लेवल में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई।

दूसरे डोज से नहीं मिला फायदा
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स स्कूल ऑफ मेडिसीन ने बयान में कहा، हमारे डेटा बताते हैं कि कोई शख्स अगर पूर्व में कोरोना से संक्रमित हो चुका है, तो उसको पहली एमआरएनए तकनीक आधारित टीकाकरण के बाद बड़ा रिस्पॉन्स मिलता है और दूसरे डोज से या तो कोई फायदा नहीं या नहीं के बराबर फायदा होगा। वैक्सीन का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने और गैर जरूरी साइड-इफेट्स से बचने के लिए जन स्वास्थ्य नीति में इस पहलू से बदलाव पर विचार किया जा सकता है"

पहले रिसर्च से पता चला था कि कोविड-19 से मिलने वाली स्वाभाविक एंटीबॉडीज एक शख्स को दस महीनों तक वायरस से सुरक्षा दे सकती है। एक अन्य रिसर्च में पाया गया था कि मॉडर्ना की कोविड-19 वैक्सीन का मात्र एक डोज लगवाने वालों को 28 दिनों बाद कोरोना वायरस से संक्रमित होने का 95 फीसद कम खतरा हो गया।

हालांकि, ताजा रिसर्च से खुलासा होता है कि 85 दिनों बाद एंटीबॉडीज लेवल में स्वाभाविक तौर पर 90 फीसद की कई आ गई, चाहे मरीजों को पूर्व में कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में लिया था या नहीं। इसका मतलब हुआ कि तीसरे बूस्टर डोज की किसी मौके पर जरूरत हो सकती है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ अभी भी कोविड-19 वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने की सिफारिश करते हैं, चाहे किसी को पूर्व में संक्रमण हुआ है या नहीं।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

नवीनतम

क्‍या है Cyclone Dana, क्‍या है इसका अर्थ और किसने रखा ये नाम?

मां जिंदा हो जाएगी इस उम्‍मीद में सड़कर कंकाल बनी लाश की पूजा कर रहा था बेटा, ये कहानी सुनकर रूह कांप जाएगी

प्रियंका गांधी के रोड शो की भीड़ असली या फर्जी? भाजपा उम्मीदवार नव्या ने लगाया सनसनीखेज आरोप

बुधनी और विजयपुर उपचुनाव में बागी और भितरघात भाजपा और कांग्रेस की बड़ी चुनौती

एक और प्रवासी श्रमिक को गोली मारी, प्रवासियों व कश्मीरी पंडितों में दहशत का माहौल

આગળનો લેખ
Show comments