Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

शनि को प्रसन्न करना बहुत आसान है बस यह शुभ आदतें अपना लीजिए

Webdunia
न्यायदाता, कर्मफल, विधाता, शनिदेव शरण ग्रहण करते ही अपने भक्तों को कष्ट से अतिशीघ्र मुक्त करते हैं। जब शनि की साढ़ेसाती लगती है और जीवन में अचानक हानि का दौर प्रारंभ होता है, तब स्वत: जातक की बुद्धि (कहीं शनिदेव कष्ट तो नहीं दे रहे हैं) यह सोचने पर विवश हो जाती है। शनिदेव नवग्रहों में कालकारक एवं जातक के शुभ-अशुभ कर्मों का फल उनकी दशा, महादशा, अंतरदशा अथवा ढय्या, साढ़ेसाती के समय देते हैं।

यदि जातक के कर्म अच्‍छे हैं, जातक सात्विक, पवित्र एवं ध्यान-धारणा एवं भक्तिमार्ग पर चल रहा है, तब शनिदेव जातक की रक्षा करते हैं और यदि जातक कुमार्ग पर चलता है, तो शनिदेव ऐसे जातक को अपनों से दूर, बीमारी, पदच्युती, जेल यात्रा, कोर्ट केस, धनहानि आदि फल करते हैं। अत: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सदा माता-पिता की सेवा एवं धर्म मार्ग पर चलना चाहिए।
 
इस भ्रम से दूर रहें कि शनिदेव अपनी साढ़ेसाती में सबको कष्ट देते हैं। शनि कभी भी अशुभ नहीं हैं। शनि न्यायकर्ता हैं और शनि के दरबार में चापलूसी या रिश्वत का लेन-देन नहीं होता। आप असहायों की सहायता करेंगे, भिखारी एवं कौड़ियों को कंबल देंगे एवं भोजन कराएंगे, तो शनिदेव सदा प्रसन्न रहेंगे और जातक की उन्नति होगी।

यदि आप सहाय को असहाय करेंगे, दूसरों को कष्ट पहुंचाएंगे, मांस-मदिरा का सेवन एवं कुसं‍गति में रहेंगे तो शनि के प्रहार से ऐसे जातक को भयंकर विपत्तियों का सामना करना पड़ेगा। जो जातक माता-पिता को कष्ट देते हैं, अपशब्द कहते हैं, ऐसे जातकों को तीसरी साढ़ेसाती में संतान की ओर से घोर कष्टों का सामना करना पड़ता है। 
 
अत: जातक के कर्मों का फल ही उसको भोगने को मिलता है और भय शनिदेव से आता है, यह गलत है। शनिदेव के पास कर्मों का फल देने का अधिकार है। अत: आपके अच्छे कर्म, सुख-संपत्ति के रूप में बुरे कर्म, हानि एवं विपत्ति के रूप में साढ़े साती में प्राप्त होते हैं। 
 
शनिदेव की शांति हेतु दान
 
ब्राह्मणों को काली गौ, भैंस, काला वस्त्र, काला तिल, उड़द, बर्तन, नीलम, रत्न, जूता, वस्त्र, कस्तूरी।
 
शनि की राशियां
 
शनि मकर एवं कुंभ राशि का स्वामी होता है एवं तुला राशि पर यह उच्च होता है अत: इन तीन राशियों के जातक पर शनि का प्रभाव हो तो उसमें शनि संबंधित गुण अधिक आते हैं। शनि प्रधान अथवा शनि के गुण-धर्म से जुड़े जातक अत्यधिक परिश्रमी एवं आत्मविश्वासी होते हैं। बार-बार असफलता का सामना करने पर भी ये आसानी से हार नहीं मानते हैं और निरंतर प्रयास करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हैं। कार्यकुशलता, गंभीरता, ध्यान-धारणा, साधना, धूर्तता, चतुराई, डिस्कवरी, प्रधान व्यक्तित्व आदि विशेष गुण होते हैं।

शनि के शुभ संबंध हों तो यह मंत्री एवं राजनीतिक पद प्रदान करता है। कलयुग में शनि राजनीति का मुख्‍य कारक ग्रह है। अत: शनि को बलवान करना अत्यंत आवश्यक है। यह रात्रि में बलवान होता है तथा जिनका जन्म रात्रि का हो और शनि कुंडली में शुभ हो तो ऐसे जातक को शनि पितातुल्य पालन करता है। बड़े-बड़े एक्सीडेंट से भी जातक सुरक्षित बाहर निकल जाता है। लोग आश्चर्य करते हैं कि ये बच कैसे गया?

जैसे अमिताभ बच्चन की कुंभ लग्न कुंडली में कारक ग्रह शनि चतुर्थ में बैठकर जनता के दिलों में विशेष जगह बनाता है, वहीं कुंभ का कारक होकर लग्न पर शनि भी पूर्ण दृष्टि होने से बड़े से बड़े एक्सीडेंट (बीमारी) से बाहर निकल आता है। अत: शनि शुभत्व लिए हुए हो तो जातक को काल के गाल से भी निकाल लाता है और शनि अशुभ हो तो जातक को व्यर्थ के जंजाल एवं विपरीत परिस्‍थितियों में ऐसा उलझाता है कि वह सुलझने के लिए जितना प्रयास करता है, उतना ही उलझता जाता है।

ALSO READ: सिर्फ 5 उपाय से शनि हो जाएंगे प्रसन्न, साढ़े साती और ढैय्या से डरना छोड़ें

सम्बंधित जानकारी

ज़रूर पढ़ें

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

lunar eclipse 2025: वर्ष 2025 में कब लगेगा चंद्र ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा

Love Life Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की कैसी रहेगी लव लाइफ, जानें डिटेल्स में

हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह की 20 खास बातें

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

सभी देखें

नवीनतम

29 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

29 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

वृश्चिक राशि में बुध ने चली वक्री चाल, 2 राशियों की जिंदगी में होगा कमाल

Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत आज, जानें कथा, महत्व, पूजा विधि और समय

Aaj Ka Rashifal: आज किन राशियों को मिलेगी हर क्षेत्र में सफलता, पढ़ें 28 नवंबर का राशिफल

આગળનો લેખ
Show comments