बीजिंग। जर्मनी में मानवाधिकार पैनल की अध्यक्षता करने वाले देश के सांसद माइकल ब्रैंड की तिब्बत की आजादी के समर्थन में टिप्पणी के लिए चीन ने उन्हें यह कहकर वीजा देने से इंकार कर दिया कि उनका बयान जर्मनी की वन चाइना नीति के खिलाफ है। सरकारी मीडिया रिपोर्ट में शुक्रवार को इसकी जानकारी दी गई।
ब्रैंड को वीजा नहीं देने के फैसले का बचाव करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने बताया कि जर्मनी की संसद के निचले सदन बुंडेसटाग की मानवाधिकारों एवं मानवीय सहायता पर समिति के अध्यक्ष माइकल ब्रैंड का चीन में स्वागत नहीं हो रहा है। लू ने गुरुवार को कहा कि तिब्बती आजादी के लिए ब्रैंड का समर्थन करना जर्मनी की वन चाइना नीति के खिलाफ है।
सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक यह साफ है कि ब्रैंड को चीन में मानवाधिकारों की स्थिति पर उनके बयान के कारण नहीं बल्कि तिब्बत पर टिप्पणी के कारण चीन आने की अनुमति नहीं दी गई।
कथित तौर पर चीन के मानवाधिकार रिकॉर्ड की आलोचना करने वाले ब्रैंड ने जर्मन विदेश मंत्रालय से उन्हें वीजा नहीं दिए जाने के बारे में स्पष्ट जवाब मांगा था। लू ने कहा कि जर्मनी में चीन के दूतावास और संबंधित विभाग ने जर्मन संसद की मानवाधिकार समिति के अध्यक्ष की यात्रा की तैयारी के लिए काफी काम किया है। (भाषा)