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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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GST कॉमन क्रेडिट क्या है, समझें मिनिमम 5 फीसदी रिवर्स

GST कॉमन क्रेडिट क्या है, समझें मिनिमम 5 फीसदी रिवर्स
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सीए भरत नीमा

GST में अंदर की बात यह है कि अब सरकार ने सभी तरह के खर्चे पर आपने जो GST पेड किया है, उसकी क्रेडिट दी जाएगी। GST के पहले यदि कोई खर्चा किया था, जिस पर मान लो सर्विस टैक्स लगा था तो उसकी क्रेडिट यदि आप सर्विस टैक्स में रजिस्टर्ड नहीं हैं तो नहीं मिलती थी, मतलब आपने जो टैक्स पेड करके कोई सर्विस ली थी वह टैक्स राशि डूब जाती थी, इसलिए अब GST में क्रॉस क्रेडिट सभी को मिलेगी, जो कि खर्चे के पेटे हो या मटेरियल खरीदी के पेटे हो।
 
अब सरकार ने व्यवसायी की विभिन्न तरीके से व्यापार करने की स्थिति का अध्ययन किया है। जैसे व्यपारी एक ही जगह से कई तरह के व्यापार करता है जिस पर कुछ एक्टिविटी पर GST टैक्स लगता है और कुछ पर GST नहीं लगता है तो सरकार ने कहा कि जिस आइटम्स की एक्टिविटी पर टैक्स नहीं लगता है उस पेटे जो खरीदी की है और आपने उस पर टैक्स पेड किया है तो वह ITC के लिए एलिजीबल (योग्य) नहीं है। मतलब इस खरीदी पर आप ITC नहीं ले सकते, जबकि यदि कोई आइटम्स बिक्री के अंतर्गत GST में टैक्सेबल है तो उस पेटे खरीदी पर ITC पूरा मिलेगा।
 
लेकिन समस्या वहां आती है, जिसमें खर्चा किया और GST भी पेड किया लेकिन इसका अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह खर्चा GST टैक्सेबल बिक्री के लिए किया है या GST फ्री आइटम्स के सेल्स के लिए। जैसे यदि दुकान का किराया, ऑडिट फीस, वगैरह के खर्चे, जिसको हम अलग-अलग करके समझ नहीं पाते हैं कि कितना GST टैक्सेबल और कितना GST फ्री आइटम्स हेतु किया गया है। इसलिए उपरोक्त खर्चों को दोनों के सेल्स के रेशो में कैलकुलेट करेंगे और GST फ्री से संबंधित कॉमन ITC को रिवर्स करेंगे।
 
इसे समझने के लिए हम सबसे पहले टैक्स पीरियड में टोटल ITC माल खरीदी और सामान्य खर्चों पर कितना मिल रहा है, उसे लिखेंगे। अब इस टोटल ITC को हम छिलके की तरह संबंधित हिज्‍जो में बांटेंगे। मतलब डायरेक्ट टैक्सेबल सप्लाई वाली खरीदी पर कितना टैक्स ITC है, जो कि एलिजीबल ITC है, जिसे T4 कहेंगे और डायरेक्ट नॉन टैक्सेबल (exempted या नील रेट वाली आइटम्स) से संबंधित पर कितना ITC है, जिसे हम इनइलिजिबल की श्रेणी में रखेंगे। इसे हम T2 कहेंगे। कुछ खर्चे जिस पर ITC सरकार नहीं देती है, उसे हम ब्लॉक्ड क्रेडिट कहते हैं, जैसे मोटरकार खरीदी पर ITC, खाने-पीने के खर्चे पर ITC, गिफ्ट आइटम्स दी है उस पर ITC वगैरह, यह भी इनइलिजिबल की श्रेणी में आती है, जिसे हम T3 कहेंगे। कभी-कभी हम पर्सनल खर्चे व्यापार में डाल देते हैं, जैसे स्वयं के लिए उपयोग में ली गई वस्तु पर ITC जो खरीदी पर मिला है, जैसे घर का किराया वगैरह, जिसे हम T1 कहेंगे। अब उपरोक्त T1,T2,T3,T4 को टोटल टैक्स पीरियड में कुल सभी तरह की ITC जिसमें सभी कुछ शामिल है, जिसे हम केवल T कहेंगे।
 
अब हम इन अलग-अलग किए गए हिज्‍जो को टोटल कुल ITC में से घटाकर अलग कर लेंगे, मतलब T में से T1,T2,T3 को घटा देंगे और बची हुई अमाउंट को हम C1 कहेंगे, जिसमें अभी डायरेक्ट टैक्सेबल बिक्री से संबंधित ITC और कॉमन क्रेडिट शामिल है, मतलब अभी भी दो चीज इसमें हैं। अब इसे भी अलग-अलग करेंगे, मतलब C1 को दो भाग में बांटेंगे, जैसे इसमें से T4 को घटा देंगे और जो बचेगा उसे हम C2 कहेंगे और यही कॉमन क्रेडिट बचा है, जिसमें भी दोनों से (टैक्सेबल व्यापार और टैक्स फ्री आइटम्स का व्यापार) संबंधित खर्चों की ITC है। इसलिए सरकार ने कहा कि अब इसमें से आप सेल्स के रेशो में बंटवारा करो और exempted आइटम्स की सेल्स से संबंधित अमाउंट, जिसे हम D1 कहेंगे, इसे C2 में से घटाएंगे और तो और सरकार ने C2 का 5% भी रिवर्स करने को कहा है, जो कि एक जनरल जबरदस्ती डाला गया है, क्यों पहले D1 के रूप में वापस ले लिया, अब 5% कुल कॉमन क्रेडिट का भी घटाएंगे, इसे D2 कहा गया, ITC रिवर्स करो। D1 और D2 को जोड़कर इतनी ITC रिवर्स कर दो और अपनी टैक्स लाइबिलिटी बड़ा लो। इन सबके बाद बची हुई राशि, जिसे हम C3 कहेंगे, यही राशि आपको ITC कॉमन क्रेडिट में से मिलेगी। 
 
फार्मूला : C1 =T-( T1+T2+T3)
C2= C1-T4
D1= C2*(exempted सप्लाई/ कुल सप्लाई) 
मतलब D1 वह राशि है,जो GST फ्री वाली बिक्री से संबंधित है
अब 5%, C2 का केलकुलेट करो, जो कि जबरदस्‍ती वसूली जैसा है, जिसे D2 कहेंगे 
C3= C2-(D1+D2)
 
 
इसको मंथली केलकुलेट करना है और वर्ष के आखरी में भी करना है। जो व्यक्ति GST फ्री और GST टैक्सेबल दोनों का काम करता है, उसे परेशानी ही परेशानी है। आपको T1,T2,T3,T4 को अच्‍छी तरह याद कर लेना चाहिए। शेष C1,C2,D1,D2 और C3 इसी में से निकलेंगे।
 
T : इसका मतलब सभी तरह की खरीदी और खर्चों पर कितना ITC माह में मिला है, इसमें रिवर्स चार्ज के अंतर्गत भरा हुआ टैक्स भी शामिल रहेगा।
 
अब निम्न प्रकार से इसके टुकड़े करेंगे : 
T1 : यह ITC टैक्स की वह राशि है, जिसकी खरीदी आपने व्यापार के लिए नहीं, बल्कि स्वयं के उपयोग के लिए की है, जैसे रेडीमेड की दुकान और घर की शादी के लिए कुछ शर्ट दुकान से ही आपने पास स्वयं के उपयोग हेतु रख लिए। इससे संबंधित ITC 100% रेवेर्सल होगी।
 
T2 : यह उतनी राशि की ITC है, जितनी खरीदी डायरेक्टली आपने exempted माल के विक्रय से संबंधित की है, जैसे कोई रॉ मटेरियल की खरीदी, जिस पर GST लगता है, लेकिन जो माल आपने बनाया वह टैक्स फ्री बिक्री के अंतर्गत आता है तो यह राशि अलग रख लें। जैसे गेहूं के लिए बरदान ख़रीदा तो बारदान पर जो टैक्स भरा वह रिवर्स करना है। यह 100% रेवेर्सल होगी।
 
T3 : यह उतनी ITC राशि है जो कि ब्लॉक्ड क्रेडिट के अंतर्गत आती है, जिसके संबंध में सरकार ने यही पर कंसम्पशन ख़त्म हो गया मानते हुए क्रेडिट नहीं देने का फैसला किया है, जैसे मोटरकार की खरीदी पर, खाने-पीने के खर्चों पर। यह राशी 100% रेवेर्सल होगी।
 
T4 : यह उतनी राशि है, जिसका संबंध डायरेक्टली 100% टैक्सेबल सप्लाई के लिए खरीदी और खर्चों के लिए किया गया है, इसका 100% ITC मिलेगा और इसे रेवेर्स नहीं करना है।
        
C1 मतलब टोटल ITC (T) में से T4 को छोड़कर सभी (T1,T2,T3) घटा देंगे, मतलब इसमें बची (ITC) राशि, जिसमें सिर्फ टैक्सेबल गुड की खरीदी और खर्चों से संबंधित खरीदी बची रह जाएगी।
 
अब C1 में से T4 को भी घटा देंगे तो बची हुई राशि जिसे हम C2 या कॉमन क्रेडिट के नाम से जानेंगे C2 में वह खर्चे से संबंधित ITC बचेगी, जो दोनों (टैक्सेबल और टैक्स फ्री) से संबंधित कॉमनली की गई है जिसे हम अलग-अलग कितना, किसके लिए किया है, पता नहीं लगा सकते है, जैसे दुकान का किराया, गोडाउन का भाड़ा, टेलीफोन खर्च वगैरह। ये सभी खर्चे दोनों के लिए होते हैं, अब C2 फाइनल आ गया है, इसे दोनों (टैक्सेबल और टैक्स फ्री बिक्री) के रेशो में बांट लेंगे। टैक्स फ्री से संबंधी खर्चे को हम D1 कहेंगे और C2 का 5% और इसमें जोड़ देंगे, जिसे हम D2 कहेंगे मतलब D1 और D2 को जोड़ देंगे और इतनी राशि को हम रेवेर्सल कर देंगे और शेष राशि का हमें ITC मिलेगा, जिसे हम C3 कहेंगे।
 
उपरोक्त लेख दिखने में भले ही कठिन है, लेकिन यह इतना सरल है कि आपको सिर्फ लॉजिकल पढ़ना है और इसे एकाग्रता से समझकर पढ़ना है। जिनका व्यापार मिक्स है, उन्हें कोशिश करना चाहिए कि वे दो GST नंबर लेकर वर्टिकल बिज़नेस के रूप में काम करें, जिससे परेशानी कम आएगी।

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