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तीन तलाक को खत्म कर मुसलमानों के मसीहा बनने की कोशिश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?

तीन तलाक को खत्म कर मुसलमानों के मसीहा बनने की कोशिश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?

विकास सिंह

, बुधवार, 31 जुलाई 2019 (11:16 IST)
भोपाल। केंद्र की सत्ता में प्रचंड बहुमत से वापस आने वाली दो महीने पुरानी मोदी 2.0 सरकार की पहली बड़ी उपलब्धि मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से आजादी दिलाने की है।
 
संसद के दोनों सदनों से ट्रिपल तलाक बिल पास होने के बाद अब इसके कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है। ट्रिपल तलाक कानून संसद में पास करवाना मोदी 2.0 सरकार की मुस्लिमों को अपना बनाने की उसी रणनीति का हिस्सा है जिसके संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दो खास मौके पर दिए अपने भाषणों में दे चुके हैं।
 
लोकसभा चुनाव में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी सांसदों को संबोधित करते हुए जो पहला भाषण दिया था वह पूरा अल्पसंख्यकों के आसपास केंद्रित था। उन्होंने देश के 17 करोड़ से अधिक मुसलमानों को अपना बताते हुए कहा था कि कांग्रेस ने स्वार्थ की राजनीति के लिए अल्पसंख्यकों को भ्रम में रखा।
 
पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले भाषण में साफ कहा था कि जिन्होंने ने उनको वोट नहीं दिया उसको अब अपना बनाने की कोशिश करेंगे। पीएम मोदी का यह संकेत देश के उस मुस्लिम वोट बैंक की ओर था जो अब भी भाजपा से दूर माना जाता है।
 
संसद में ट्रिपल तलाक बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसे कुप्रथा का अंत बताते हुए विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि तुष्टिकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया।
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संसद में ट्रिपल तलाक बिल पास होने पर भाजपा नेताओं के इसे मोदी सरकार की बड़ी जीत बताने पर वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि ट्रिपल तलाक को लेकर मोदी सरकार जो नया कानून बना रही है, यह निर्णय पूरी तरह राजनीतिक उद्देश्य और सोच से जुड़ा हुआ है।
 
वे कहते हैं कि पीएम को लगता है कि ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने से उनको मुस्लिम महिलाओं को सपोर्ट मिलेगा और सियासी तौर पर इसका लाभ पार्टी को मिलेगा।
 
मोदी के दूसरे कार्यकाल में मुसलमानों के प्रति नरम नीति और एक तरह से मसीहा बनने के सवाल पर रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि ऐसे फैसले से हो सकता हैं कि मोदी मुसलमानों के मसीहा बनने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन अगर देखा जाए तो मोदी सरकार के इस तरह के निर्णय पूरी तरह सियासी है जबकि ‘मसीहा’ एक ऐसे शब्द है जो दलीय राजनीति से उपर उठकर काम करने का काम करता है।
 
तीन तलाक के बिल के संसद से पास होने पर सोशल एक्टिविस्ट नाजिया खान कहती हैं कि निश्चित तौर पर ट्रिपल तलाक को खत्म करने और उस पर रोक लगाने वाला नया कानून स्वागत योग्य है। 
 
वे कहती हैं कि इस नए कानून से बहुत से मुस्लिम महिलाएं जो आज भी तकलीफ में है उनको राहत मिल सकेगी। दूसरी ओर नाजिया खान इस पूरे मसले पर हो रही राजनीति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहती हैं कि ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने के साथ ही आज इस मसले पर अवेयरनेस बढ़ाने की जरूरत है जिससे ट्रिपल तलाक की कुप्रथा को जड़ से ही खत्म किया जा सके। 
 
वे मोदी सरकार से अपील करती हैं कि सरकार ऐसे मसलों पर काम करना चाहिए जिससे की तलाक की नौबत ही न आए। वे मोदी सरकार से समाज के हर वर्ग की महिलाओं के उत्थान के लिए काम करने की बात भी कहती हैं।     
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भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के नारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ से आगे बढ़ते हुए ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ का जो नारा दिया था, अब ट्रिपल तलाक पर नया कानून सबका विश्वास अर्जित करने की दिशा में ही एक ऐतिहासिक कदम है।
 
राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि बहुत लंबे समय तक विपक्ष के नेताओं ने अल्पसंख्यकों के मन में एक भ्रम फैला रखा था कि भाजपा की सरकार उनके हितों के लिए काम नहीं करती है, लेकिन आज चाहे अल्पसंख्यक कल्याण का बजट सबसे बड़ा करना हो या मुस्लिम समाज को ट्रिपल तलाक की कुरीतियों से मुक्त कराना हो ऐसे काम यह दर्शाते हैं कि आज मोदी सरकार आज मुसलमानों के हितों की चिंता कर रही है।
   
बहरहाल, मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक को लेकर जो नए कानून बनाया है उसका फायदा आने वाले चुनावों में भाजपा को मिलना तय माना जा रहा है। ऐसे में जब कुछ ही महीनों के बाद ही जम्मू-कश्मीर जैसे मुस्लिम बाहुल्य वाले राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में भाजपा इस मामले पर सियासी लाभ लेने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी।

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