- अनुपमा जैन
बुडापेस्ट। ब्रिटेन के बाद अब हंगरी भी योरोपियन यूनियन को लेकर अपने यहां जनमत संग्रह कर रहा है, लेकिन यह जनमत संग्रह ब्रिटेन के जनमत संग्रह से कुछ अलग मुद्दे पर हो रहा है। ब्रिटेन में जहां इस विषय पर रायशुमारी हुई कि ब्रिटेन ईयू में रहे या नहीं, लेकिन हंगरी का टॉपिक कुछ जुदा है।
हंगरी में आगामी दो अक्टूबर को देश में इस विषय पर जनमत संग्रह हो रहा है कि देशवासी योरोपीय यूनियन के ऐसे किसी प्रयास का विरोध करें कि ईयू अपने सदस्य देशों के शरणार्थियों को अपने यहां बसाने का निर्देश अनिवार्य रूप से जारी नहीं कर पाए।
राष्ट्रपति जनोस अदेर की एक घोषणा के अनुसार, जनमत संग्रह में हंगरी के नागरिकों को इस सवाल का जबाव देना होगा कि क्या नागरिक यह चाहते हैं कि योरोपीय यूनियन संसद की मंजूरी के बिना हंगरी सरकार को यह बताए कि वह अपने यहां गैर हंगरी वासियों को वहां अनिवार्य रूप से वहां बसाए।
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑरबॉन जो कि आव्रजन का जमकर विरोध करते रहे हैं, वे भी कह चुके हैं कि जनमत संग्रह में न के मायने हंगरी की आजादी के पक्ष में मतदान करना होगा और योरोपीय यूनियन द्वारा शरणार्थियों को सदस्य देशों में अनिवार्य रूप से बसाने के किसी प्रस्ताव को नामंजूर करना होगा।
एक अन्य वरिष्ठ मंत्री का कहना है कि हंगरी के नागरिकों के साथ कौन रहे, इसका फैसला केवल हंगरी वालों को ही करना चाहिए न कि ब्रुसेल्स उन्हें यह निर्देश दे। हंगरी पहले ही शरणार्थियों को बसाने के खिलाफ योरोपीय यूनियन को योरोपीय कोर्ट तक ले जा चुका है। हंगरी में पिछले बरस लगभग 4 लाख शरणार्थी वहां से गुजरे जरूर, लेकिन जल्द ही हंगरी ने कंटीली आड़ लगाकर यह प्रवाह रोक दिया। (वीएनआई)