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पसंद नहीं आया, तो दोबारा डालें वोट, ऐसा है अमेरिकी चुनाव

DW
गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020 (09:35 IST)
रिपोर्ट चारु कार्तिकेय
 
अमेरिका में कुछ राज्यों में मतदाता वोट डालने के बाद भी अपना वोट बदल सकते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मतदाताओं को ऐसा ही करने के लिए कहा है। क्या असर होगा इसका चुनाव के नतीजों पर?
 
ट्रंप ने एक ट्वीट में कहा कि उन्हें गूगल पर देखकर पता चला है कि कई लोग जो शुरुआती मतदान की सुविधा का फायदा उठाकर अपना मत डाल चुके हैं, वे यह जानना चाह रहे हैं कि क्या वे अपना वोट बदल सकते हैं? ट्रंप ने कहा कि ऐसे लोगों को वे बताना चाहेंगे कि अधिकतर राज्यों में मतदाता बिलकुल ऐसा कर सकते हैं और उन्हें यह करना ही चाहिए।
 
समीक्षक राष्ट्रपति की अपील को चुनाव के बाद की स्थिति काफी मुश्किल होने के अंदेशे का एक और संकेत मान रहे हैं। चुनाव अभियान की शुरुआत से यह अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है कि अगर ट्रंप चुनाव हार गए तो संभव है कि वो और उनके समर्थक हार को आसानी से स्वीकार न करें और सत्ता के हस्तांतरण में अवरोध पैदा करें। खुद ट्रंप से इस संभावना के बारे में पूछा गया है लेकिन उन्होंने कभी भी जोर देकर इस संभावना से इंकार नहीं किया है।
 
अगर ऐसा हुआ तो वो स्थिति काफी पेचीदा और अप्रिय भी हो सकती है। अभी तक 6.6 करोड़ से भी ज्यादा मतदाता शुरुआती मतदान में अपना वोट डाल चुके हैं, जो कि 2016 के कुल मतदान का लगभग 50 प्रतिशत है। इनमें से 4.4 करोड़ वोट डाक के जरिए डाले गए हैं और 2.2 करोड़ चुनावी कार्यालयों में जाकर। सर्वेक्षणों में यह भी दावा किया जा रहा है कि शुरुआती मतदान के रुझान डेमोक्रेटों के पक्ष में हैं और रिपब्लिकन पीछे हैं।
 
ऐसे में ट्रंप के ट्वीट के बाद मतदान से जुड़ी अनिश्चितताएं बढ़ गई हैं। हालांकि असलियत यह है कि वोट बदलने की सुविधा सिर्फ कुछ ही राज्यों में है और उन राज्यों में भी अलग अलग काउंटियों में अलग-अलग नियम हैं। विस्कॉन्सिन में मतदाता 3 बार अपना वोट बदल सकते हैं, जबकि कनेक्टिकट में यह स्थानीय अधिकारियों की अनुमति पर निर्भर करता है।
 
कुछ राज्यों में वोट एक तय तारीख तक ही बदला जा सकता है जबकि कुछ दूसरे राज्यों में ऐसा मतदान के दिन तक किया जा सकता है। कई जगह वोट बदलने के कानूनों से संबंधित मामले अदालतों में चल रहे हैं, जहां रिपब्लिकन पार्टी धीरे-धीरे अपनी विचारधारा वाले जज भरती जा रही है।
 
सोमवार को जब ट्रंप द्वारा मनोनीत की हुई जज एमी कोनी बैरेट की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हुई, उसी दिन अदालत ने एक ऐसे ही मामले में फैसला दिया कि विस्कॉन्सिन में 3 नवंबर को मतदान के बाद प्राप्त होने वाले डाक मतों की गिनती नहीं की जाएगी। ऐसे में ऐसा लग रहा है कि अगर ट्रंप और बिडेन में से किसी की भी भारी बहुमत से विजय नहीं हुई तो नतीजे पेचीदा रहेंगे और मतगणना कई दिनों तक भी चल सकती है।

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